दुर्ग के सीताफल की मिठास फीकी पड़ने के आसार

दुर्ग के सीताफल की मिठास फीकी पड़ने के आसार
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चित्तौड़गढ़। विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक दुर्ग के सीताफल की मिठास पूरे विश्व में विख्यात है लेकिन इस बार मानसून की बैरूखी से सीताफल की मिठास फिकी पड़ने के आसार से सीताफल ठेकेदारों और शोकीनों को चिंता सताने लगी है। दुर्ग पर हर वर्ष की भांति मीठे और बड़े सीताफल मौसम की बेरूखी के चलते इस बार लोगों को तृप्त नही कर पाएंगे। मौसस में बदलाव का असर सीताफल पर भी है। पहले जून माह में बिपरजॉय के कारण पौधों पर जल्दी फू्रटिंग होने लगी तो फिर मानसून में कम बारिश से फल कम आए। दुर्ग पर पुरातत्व विभाग द्वारा सीताफल बिक्री का ठेका भी महज दो लाख मंे हुआ जो गत वर्ष पांच लाख का था। सीताफल सर्दी का फल है जो दिवाली तक बाजार में आता है। किले के खाली भू भाग मंे सीताफल की प्राकृतिक खेती होती है। हर साल पैदावार लेने के लिए एएसआई और राजस्व विभाग में तहसील कार्यालय अपने हिस्से का ठेका करता है। इस साल तहसील का ठेका अब तक हुआ नहीं है। पुरातत्व विभाग का ठेका गत साल से 60 प्रतिशत कम में छूटा। सीताफलों की पैदावार को लेकर लोग आशंकित है। इस बार सीताफल ठेकेदारों और शोकिनों के लिये इस फल की मिठास फीकी पड़ने के आसार है।
 

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