दुनियाँ इसे दीपावली कहती*

दुनियाँ इसे दीपावली कहती*

 


लौ दीये की हमको कहती,
काम है मेरा कितना महती/
अँधेरे के मैं तोड़ के घेरे,
रोशनी कोने-कोने बहती//

*दुनियाँ इसे दीपावली कहती*

गहन तिमिर को एक दीपक,
चीर ही देता दूर तलक/
मावस में भी लौ दीये की,
क्या जल उठेगा ये फलक//

दूर भागते तिमिराँध पर,
दीपों की सेना कहर ढहती/
काले दिन को लोग बदल कर,
खुशियों का त्योहार है कहती//

*दुनियाँ इसे दीपावली कहती//*

पावस ऋतु के चिन्ह मिटाती,
गन्दगी कीच-कबाड़ फैंकाती/
स्वच्छ तन-मन घर-आँगन महकाती/
सज-धज रंग-रोगन करवाती//

बाजारों में रौनक रहती,
चहल-पहल औऱ सड़कें बहती/
गूँजे पारे और मिठाइयाँ,
चौतरफ पकवानी खुशबू रहती//

*दुनियाँ इसे दीपावली कहती*

मगसम स.सं.S-11312/2020
नरेन भीलवाड़ा

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