40 से कम आयु में भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, शरीर हो सकता है लकवाग्रस्त, ये आदतें बढ़ा रही हैं जोखिम

40 से कम आयु में भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, शरीर हो सकता है लकवाग्रस्त, ये आदतें बढ़ा रही हैं जोखिम
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पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक के साथ स्ट्रोक के मामले भी काफी बढ़ते हुए देखे गए हैं। ये दोनों ही समस्याएं जानलेवा हो सकती हैं, दुर्भाग्यवश कम उम्र के लोगों में भी इसका जोखिम काफी तेजी से बढ़ता हुआ पाया गया है।

ब्रेन स्ट्रोक, दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। इससे जो लोग जीवित बच जाते हैं उनमें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे लकवाग्रस्त होने, बोलने-दृष्टि से संबंधित दिक्कत, संज्ञानात्मक समस्याओं का खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, 40 से कम उम्र के लोगों में भी स्ट्रोक के मामलों को बढ़ते हुए देखा गया है, जो निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है। 

ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब कोई चीज मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति को अवरुद्ध कर देती है या किसी कारणवश मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है। स्ट्रोक से स्थाई रूप से मस्तिष्क को क्षति, दीर्घकालिक रूप से विकलांगता या यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। सभी लोगों में स्ट्रोक के लक्षण हों ये जरूरी नहीं है, कुछ शोध से पता चलता है कि लक्षण-मुक्त स्ट्रोक अधिक सामान्य हैं। आइए जानते हैं कि किन कारणों से स्ट्रोक का खतरा युवाओं-वयस्कों में भी बढ़ रहा है?

brain stroke and paralysis risk factors before 40 age know bad habits that cause stroke

 युवा-वयस्कों में बढ़ रहा है स्ट्रोक का खतरा

अमर उजाला से बातचीत में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रखर सहाय बताते हैं, स्ट्रोक किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह वो प्रमुख कारण हैं जो युवा वयस्कों में इस समस्या के जोखिमों को बढ़ा रहे हैं। वृद्ध लोगों में स्ट्रोक अधिक आम है। हालांकि करीब सात में से एक स्ट्रोक का मामला 15-49 आयु वर्ग के लोगों में देखा जा रहा है।

2021 के शोध से पता चलता है कि 10-15% स्ट्रोक 18-50 आयु वर्ग के वयस्कों में होते हैं। हमारी गड़बड़ दिनचर्या भी इस खतरे को बढ़ाने का कारण है। 

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मोटापा और स्ट्रोक का खतरा

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव किडनी डिसऑर्डर की रिपोर्ट से पता चलता है कि मोटापा, स्ट्रोक होने के खतरे को कई गुना तक बढ़ा देता है। मोटापे के कारण कई तरह की जटिलताओं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और रक्त वाहिकाओं की समस्या भी बढ़ने लगती है जो इसका प्रमुख जोखिम कारक है। डॉ सहाय कहते हैं, अगर वजन को कंट्रोल कर लिया जाए तो इस गंभीर और जानलेवा समस्या के जोखिमों से बचाव किया जा सकता है। 

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हाई ब्लड प्रेशर-डायबिटीज की समस्या

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज, ये दो प्रमुख कारण हैं जो स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकते हैं। दुर्भाग्यवश युवाओं में ये दोनों समस्याएं भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। हाई ब्लड प्रेशर के कारण धमनियों की दीवारों पर उच्च दबाव पड़ता है, इससे मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां फट सकती हैं या अवरुद्ध हो सकती हैं।

वहीं मधुमेह में हाई ब्लड शुगर की स्थिति मस्तिष्क सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है जिसके कारण भी स्ट्रोक हो सकता है। जिन लोगों को ये दोनों बीमारियां हैं उन्हें इसे कंट्रोल में रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जरूरी है।

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 धूम्रपान सबसे बड़ा कारण

डॉ सहाय कहते हैं, युवाओं-वयस्कों में स्ट्रोक के अधिकतर मामलों के निदान में देखा जाता है कि रोगी धूम्रपान के शिकार रहे हैं। धूम्रपान या सेकेंड हैंड धुएं में सांस लेना भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। इस एक आदत के कारण रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स, बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ रक्त का थक्का जमने की आशंका भी अधिक हो जाती है। रक्त वाहिकाएं मोटी या संकीर्ण होने लगती हैं जिसके कारण स्ट्रोक हो सकता है।

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