चीनी संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं, निराधार है जोखिम की आशंका

चीनी संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं, निराधार है जोखिम की आशंका
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चीन के कुछ शहरों में श्वसन संबंधी संक्रमण के मामलों में मौजूदा वृद्धि की वजह मौसम में आने वाले बदलाव हैं। सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारियां आम हैं। यह सामान्य संक्रमण है, जिसके लिए कोई नया वायरस जिम्मेदार नहीं है। इसलिए, अन्य देशों के लिए जोखिम की कोई आशंका भी नहीं है।
no need to panic with spike in respiratory illnesses in Chi

चीन में एक बार फिर श्वसन संबंधी बीमारी सुर्खियों में है। मध्य अक्तूबर से बीजिंग, लिओनिंग एवं चीन के अन्य स्थानों में पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी में वृद्धि हुई है। इसी महीने के मध्य में चीनी सरकार ने आधिकारिक रूप से मुख्यतः बच्चों और कुछ अन्य उच्च जोखिम वाले आयु वर्ग में श्वसन संबंधी बीमारी बढ़ने की सूचना दी। इन मामलों के लिए मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस, एक तरह का बैक्टेरिया माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकाइशियल वायरस (आरएसवी) और सार्स-कोव-2 (वही वायरस जो कोविड-19 का कारण है) को जिम्मेदार ठहराया गया है।

 

स्थिति का संज्ञान लेते हुए 22 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन के तहत चीनी अधिकारियों से महामारी विज्ञान और नैदानिक जानकारी के साथ-साथ रिपोर्ट किए गए समूहों के प्रयोगशाला परिणामों की अतिरिक्त जानकारी साझा करने का अनुरोध किया। तभी दुनिया भर का ध्यान इस तरफ गया। भारत सरकार ने भी 26 नवंबर को जोखिम मूल्यांकन और भविष्य की किसी भी घटना की तैयारी के लिए बैठक की। यह एक नियमित एवं मानक प्रक्रिया थी, जिससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

चीन से मिली जानकारी से पता चला है कि मई, 2023 से माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया के कारण बाह्य रोगियों और बच्चों के अस्पताल में भर्ती में बढ़ोतरी हुई है। अक्तूबर से आरएसवी, एडेनोवायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस के मामले बढ़ गए हैं। ये मामले कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों के हटने के बाद बढ़े हैं।

चीनी अधिकारियों ने बताया कि किसी भी असामान्य या नए रोगजनक का पता नहीं चला है। हालांकि कई ज्ञात रोगजनक के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ी हैं, लेकिन कोई असामान्य नैदानिक समस्या सामने नहीं आई है। चीन के नेशनल इन्फ्लूएंजा सेंटर द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि बीमारियों के वर्तमान उछाल के लिए प्रमुख इन्फ्लूएंजा वायरस ए(एच3एन2) और बी/ विक्टोरिया वंश जिम्मेदार हैं, जो लंबे समय से ज्ञात हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल सर्दियों के मौसम के कारण भी है, जब श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ने की आशंका होती है। फिर श्वसन वायरस का प्रसार सह-रुग्णता वाले बच्चों और वयस्कों को बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाता है। जिन दो रोगजनक-आरएसवी और माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया का पता चला है, वे वयस्कों की तुलना में बच्चों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि बच्चों में बीमारियों के ज्यादा मामले हैं। आश्वस्त करने वाली बात है कि इन बीमारियों से लड़ने के लिए टीके और दवाएं उपलब्ध हैं। मसलन, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से किया जा सकता है।

श्वसन संबंधी बीमारी एक वास्तविकता रही है, लेकिन कोविड-19 ने नए सिरे से इस पर ध्यान आकृष्ट किया है। वास्तव में, कोविड महामारी के खत्म होने और प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद से दुनिया के कई देशों में वायरल बीमारियों में वृद्धि और मौसमी बदलाव का अनुभव किया गया है। कई देशों में फ्लू का मौसम बदल गया है और आरएसवी संबंधी संक्रमण बहुत सामान्य बात हो गई है। भारत या किसी भी अन्य देश के लिए चिंता की बात नहीं है। चीन में मामले की मौजूदा वृद्धि से पहले ही इस वर्ष के अधिकांश समय में भारत में कई बच्चों और वयस्कों ने फ्लू जैसी बीमारियों की सूचना दी है। इस वर्ष भारत में फ्लू के लक्षण सामान्य से अधिक समय तक रहे और लोगों को कई तरह के वायरसों का सामना करना पड़ा।  

इसके लिए प्रतिरक्षा की कमी जिम्मेदार है। कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों के कारण पिछले तीन-चार वर्षों में स्थानीय रूप से प्रसारित वायरस का प्रसार नहीं हो सका और आबादी उन वायरसों के संपर्क में नहीं आई। चूंकि लोग उन वायरसों के संपर्क में नहीं आए, इसलिए उन वायरसों के प्रति उनमें प्रतिरक्षा विकसित नहीं हो पाई। ऐसे में जब प्रतिबंध हटे और लोगों की गतिविधियां बढ़ीं, तो लोग एक बार में ही कई वायरसों के संपर्क में आए और संक्रमित होने लगे। एक बार जब लोगों का एक बड़ा हिस्सा उन रोगजनकों के संपर्क में आ जाएगा, तो वायरस का संक्रमण धीमा हो जाएगा।

आने वाले समय में इस पर चर्चा शुरू हो सकती है कि क्या लोगों को कोविड-19 टीके की एक और खुराक लेनी चाहिए। इसका संक्षिप्त उत्तर है- नहीं, क्योंकि मौजूदा मामले अन्य रोगजनक के कारण बढ़ रहे हैं। श्वसन संबंधी वायरस हमेशा हमारे शरीर में और हमारे आसपास रहते हैं, और हमारी जानकारी के बिना शरीर उनसे लड़ता रहता है। हालांकि वायु प्रदूषण के कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पड़ता है, जिससे श्वसन संबंधी संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। फिर भारत सहित संपूर्ण दुनिया में श्वसन वायरस की मौसमी स्थिति में भारी बदलाव आया है। इसलिए श्वसन संबंधी वायरसों से रक्षा हमेशा सार्थक होता है। चाहे श्वसन संबंधी कोई भी बीमारी या वायरस हो, जहां भी बीमारियों की वृद्धि की सूचना मिले, सामान्य निवारक उपायों का पालन करना चाहिए।

निवारक उपायों में उम्र के अनुसार टीके लगवाना, बीमार होने पर घर पर ही रहना, बीमार लोगों से दूरी बनाकर रखना, जांच कराना और जरूरत हो, तो इलाज कराना, घरों एवं कार्यस्थलों पर हवा की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित करना शामिल है। सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारी आम बात है और इस दौरान ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। स्वस्थ भोजन करना, दिन में छह से आठ घंटे सोना, नियमित शारीरिक गतिविधि और पहले से मौजूद बीमारियों का इलाज कराना सही रहेगा।

महामारी के दौर से अलग इन बीमारियों के दौरान गलत सूचनाओं के प्रसार की भी चुनौतियां हैं। इसलिए एक समाज के रूप में हमें सावधान रहना चाहिए और गलत सूचनाओं को आगे प्रसारित करने से बचना चाहिए। सरकार को समय पर नियमित रूप से विश्वसनीय जानकारी प्रदान करनी चाहिए। संक्षेप में, चीन के कुछ शहरों में श्वसन संबंधी संक्रमण की मौजूदा वृद्धि एक मौसमी प्रवृत्ति और स्थानीय घटना प्रतीत होती है। चूंकि इसके लिए कोई नया वायरस जिम्मेदार नहीं है, अन्य देशों के लिए जोखिम की आशंका नहीं है। स्वस्थ और सुरक्षित रहने का यह अच्छा समय है।
(डॉ. चंद्रकांत लहारिया, सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन)

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