गठबंधन का नाम भारत रखने के प्रस्ताव पर मची हलचल, 29 को बुलाई राष्ट्रीय परिषद की बैठक

गठबंधन का नाम भारत रखने के प्रस्ताव पर मची हलचल, 29 को बुलाई राष्ट्रीय परिषद की बैठक
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विपक्षी गठबंधन की बैठक में हिंदी के प्रति बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से दिखाए गए अतिरिक्त आग्रह के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। बैठक में नीतीश ने न सिर्फ गठबंधन का नाम इंडिया की जगह भारत रखने का प्रस्ताव रखा था, बल्कि डीएमके के हिंदी विरोधी रवैये पर भी सवाल उठाए थे। इसी बीच जदयू की ओर से 29 दिसंबर को अचानक बुलाई गई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक ने सियासी हलचल बढ़ा दी है।


जदयू सूत्रों के मुताबिक बैठक में नीतीश ने गठबंधन का नाम भारत रखने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बैठक में मौजूद सोनिया गांधी ने तत्काल खारिज कर दिया। इसके बाद अपने भाषण का राजद सांसद मनोज झा द्वारा अनुवाद किए जाने का सिलसिला शुरू करते ही नीतीश बेहद नाराज हो गए। नीतीश ने इसी बहाने डीएमके की हिंदी विरोधी राजनीति पर सवाल उठाए और कहा कि राष्ट्रभाषा का ज्ञान तो सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को होना ही चाहिए। नीतीश ने इसी दौरान पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सहयोगी दलों को किनारे करने पर कांग्रेस पर भी सवाल उठाए।

अचानक बुलाई राष्ट्रीय परिषद की बैठक...बैठक से पूर्व जदयू ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में नीतीश की जनसभा की घोषणा की थी। लेकन, बैठक के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी में 29 दिसंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है। जदयू का इतिहास है कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उसने बड़े निर्णय लिए हैं।


ममता के प्रस्ताव से बढ़ी खटास
दरअसल खटास तब बढ़ी जब टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बिना अन्य दलों को विश्वास में लिए बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा। इतना ही नहीं ममता ने बैठक में यह भी प्रस्ताव रखा कि कांग्रेस 300 सीटों पर चुनाव लड़े। इससे बैठक का जायका बिगड़ गया। वह इसलिए कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चाहते थे कि गठबंधन का संयोजक नीतीश को बनाया जाए।

डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस
खटास के बाद कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने डैमेज कंंट्रोल की मुहिम शुरू की। शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच दो बार बातचीत की कोशिश हुई। पहले राहुल गांधी ने नीतीश कुमार को फोन किया। बैठक में व्यस्त होने के कारण दोनों के बीच बातचीत नहीं हो पाई। इसके बाद नीतीश की ओर से राहुल गांधी को फोन किया गया, मगर तब राहुल पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में व्यस्त थे।

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