तीन दिवसीय जिलास्तरीय विज्ञान मेले का समापन शनिवार को

तीन दिवसीय जिलास्तरीय विज्ञान मेले का समापन शनिवार को
X
चित्तौड़गढ़ । जिलास्तरीय विज्ञान मेले में दूसरे दिन भामाशाह द्वारका प्रसाद काबरा  राउमावि में शुक्रवार को विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। विज्ञान मेले का समापन शनिवार 23 सितम्बर को विधायक श्री चन्द्रभान सिंह आक्या के मुख्य आतिथ्य में प्रातः 11 बजे होगा। समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में युआईटी के पूर्व अध्यक्ष सुरेश झंवर, नगर परिषद के पूर्व सभापति सुशील शर्मा सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहेगें।
 
जिलास्तरीय विज्ञान मेले के संयोजक और आयोजक संस्था के प्रधानाचार्य शंभुलाल भट्ट ने बताया कि शुक्रवार को जुनियर वर्ग की प्रश्नोनोत्तरी प्रतियोगिता का द्वितीय एवं तृतीय चरण का आयोजन हुआ। विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर आधारित इस प्रतियोगिता को लेकर जिले के विभिन्न ब्लाॅक से आएं 88 विद्यार्थियों में से पहले चरण की लिखित परीक्षा से 12 विद्यार्थियों का चयन कर द्वितीय और तृतीय चरण का आयोजन किया गया।  माडॅल चयन एवं सेमीनार गतिविधियों को लेकर भी बाल वैज्ञानिकों में उत्साह देखा गया। सेमीनार और माडॅल चयन के भी परिणाम निर्णायकों के द्वारा तय किए गए। आयोजक संस्था के द्वारा सभी प्रतिभागियों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था की गई है। 
 
विज्ञान मेले में निर्णायक पैनल
विज्ञान मेले में सेमीनार गतिविधि में निर्णायक के रूप में आनंद दीक्षित, सुभाष मेडतवाल,अनुराधा आर्य, हेमराज कुमावत और मोहनलाल श्योपुरा उपस्थित रहे। मॉडल चयन निर्णायक दल में राजेश टेलर, रमेश चंद्र अग्रवाल, दिलीप जैन, डॉ.जितेंद्र दशोरा, विनोद राठी, अभयकुमार जैन, विजय गौतम, चंदा जाडोलिया, विनय त्रिपाठी, कमलेश डांगड़ा रहें। क्विज प्रतियोगिता में संगीता जैन, अरविंद मूंदड़ा, अभिषेक चाष्टा, महिपाल चैधरी, गोवर्धन पाटीदार, हरीश तनान, लक्ष्मीलाल मेनारिया एवं जगदीश बुनकर ने क्विज गतिविधि संपादित करवाई। 
 
नन्हे वैज्ञानिकों को कमाल: खरा उतरता वैज्ञानिक दृष्टिकोण
 
1. हैंडपम्प में प्यूरिफाई से शुद्व पानी 
राउमावि भदेसर के कक्षा 12 के धर्मेंष रेगर ने प्रचिलित जल स्त्रौत हैडपम्प से आने वाले पानी को शुद्ध प्राप्त करने के लिए जल निकासी सिस्टम पर ही प्यूरिफाई लगा अनुठा प्रयोग किया है। इस माॅडल में हैंडपम्प से आने वाले पानी पर अतिरिक्त वाल्व लगा उसमें विभिन्न प्रकार के शुद्धिकरण झालियां लगाई गई हैं। झालियों के आगे क्लोरिन, फिटकरी जैसे जल शुद्धिकरण तत्वों को प्रयोग कर शुद्ध पानी को एक टैंक में एकत्रित किया जाता है। टैंक पर लगे एक स्वचालित सैंसर को दबाने से आवष्कता होने पर शुद्ध पानी प्राप्त किया जा सकता है। इस माॅडल की विषेषता है कि इस कार्य के लिए आवष्यक बिजली की आपुर्ति सोलर सिस्टम से की जाती है जिससे अनावष्यक बिजली के खर्च से भी निजात मिली है।
 
2.बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के लिए तैरते घर
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में घरांे में पानी के कारण बडे स्तर पर नुकसान को देख राउमावि चन्देरिया के कक्षा 10 के छात्र भूपेष शर्मा ने अपनी विज्ञान अध्यापिका सोनाक्षी सुराणा के निर्देषन में एक नई परिकल्पना को प्रस्तुत किया है। इसमें मजबुत आधार को चारों ओर पिलर पर इस प्रकार खड़ा किया जाता है कि आवष्यकता होेने पर पिलर के सहारे पूरे मकान को उपर उठाया जा सके। मकान के आधार और पिलर इस प्रकार जुडे होते है कि उपर नीचे हो सकते हैं। जब बाढ़ का पानी आवसीय क्षेत्र में प्रवेष करता है तो आधार और पिलर के नीचे पानी आने पर पूरा मकान पिलर के सहारे उपर उठ जाता है और पानी के कारण होने वाली हानि से बचा जा सकता है।
Next Story