टमाटर और प्याज थाली से गायब, भिंडी के भाव भी बढ़े; महिलाएं बोलीं- बिगड़ रहा रसोई का बजट

टमाटर और प्याज थाली से गायब, भिंडी के भाव भी बढ़े; महिलाएं बोलीं- बिगड़ रहा रसोई का बजट
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टमाटर, गोभी, गाजर, खीरा, हरी मटर जैसी सब्जियों के सीजन के दौरान भी आसमान छूते रेटों ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की परेशानियों बढ़ा दी हैं। वहीं सबसे अधिक टमाटर और प्याज के बढ़ते रेटों के कारण ये दोनों सब्जी अब सब्जी भोजन की थाली से गायब होती जा रही हैं। टमाटर और प्याज के रेट आपस में आंख मिचौनी का खेल खेल रहे हैं। कभी प्याज के रेट गृहणियों के आंसू निकाल देती है तो टमाटर भी अपनी लाल आंखे दिखाने में पीछे नहीं है। सर्दियों के सीजन में सस्ती सब्जी खाने वालों लोगों का जहां महंगाई ने जायका बिगाड़कर रख दिया है, वहीं इस महंगाई के कारण गृहणियों की रसोई का बजट भी गड़बड़ा गया है।

 सब्जियों के रेट आए दिन इस प्रकार बढ़ रहे हैं कि दूसरे दिन सब्जी किस रेट पर खरीदनी पड़ सकती है। कुछ लोग महंगी सब्जियों को शादियों का भरपूर सीजन होना बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे खुदरा दुकानदारों की मनमर्जी बता रहे हैं। खुदरा दुकानदारों की मनमर्जी के कारण सब्जी के दामों में रोजाना बेतहाशा दामों की बढ़ोतरी हो रही है, जिसके कारण मध्यम और गरीब वर्ग की थाली से सब्जी लगभग गायब हो चुकी है। 

 

पिछले कई महीनों से टमाटर के बढ़ते दामों के साथ साथ अब प्याज के दाम भी रुलाने लगे हैं। जिसके कारण प्याज और टमाटर की चटनी से गुजारा करने वाले गरीबों के लिए तो अब यह भी सपने की बात हो चली है। सब्जी के थोक और खुदरा रेटों में काफी अंतर भी लोगों के जी का जंजान बना हुआ है। 

 

थोक के दुकानदार जहां सब्जी को मंदी की मार बता रहे हैं तो वहीं खुदरा दुकानदार व्यापार में घाटा बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। जबकि सब्जी खरीदने के नाम पर ग्राहक की जेब दिन प्रति दिन ढीली होती जा रही है। खुदरा सब्जी बिक्रेता मनमर्जी के दामों पर सब्जी बिक्री कर चांदी काट रहे हैं।

 

पिछले महीने जहां प्याज 25 से 30 रुपये प्रति किलों में आसानी से उपलब्ध हो जाती थी आज वहीं प्याज 60 से 65 रुपये में मिल रही है। इसी प्रकार टमाटर 30 रुपये मिला था, आज वही टमाटर 60 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध हो रहा है। गाजर 30 से 60 रुपये, भिंडी 30 से 60 रुपये, हरी मेथी 20 से 30 रुपये , पालक 10 से 20 रुपये, गोभी 20 से 50 रुपये, खीरा 40 से 50 रुपये, घीया 20 से 40 रुपये और बैंगन भी 40 से 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब में मिल रहा है। 

 

सर्दियों के मौसम में दो पल बैठकर चाय की चुस्की लेने वालों का जायका भी अबकि बार अदरक ने बिगाड़ रखा है। उधर थोक सब्जी बिक्रेताओं का कहना है कि थोक और खुदरा सब्जी के रेटों में काफी अंतर है। थोक व्यापारी निर्धारित रेटों से अधिक सब्जी बिक्री नहीं कर सकते, जबकि खुदरा दुकानदार अपने रेट तय कर सब्जी बिक्री करते हैं।

 

क्या कहती हैं गृहणी
महिलाएं प्रीति कौशिक, बिमला देवी और संतोष चौधरी का कहना है कि सब्जी के आसमान छू रहे दामों के कारण रसोई का बजट बिगड़ने लगा है। टमाटर और अदरक जैसी सब्जियों के रेट बढ़ने से परेशानी हो रही है। दुकानदरों की मनमर्जी के कारण सब्जी के रेट बेलगाम हो रहे हैं। दाम दिन प्रति बढ़ रहे हैं। बढ़ते रेटों के मामले में प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। टमाटर, आलू और प्याज के रेटों ने तो आंसू ही निकाल दिए हैं। सब्जियों के बढ़ते रेटों के कारण अब थोड़ी सब्जी में ही गुजारा करना पड़ रहा है। कुछ सब्जियां तो सर्दियों के मौसम में सस्ती मिलती थीं, लेकिन अबकि बार तो सभी सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं जिसके कारण रसोई का बजट बिगड़ गया है।                        

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