पार्श्वगायक रफी को अर्पित की गीतों भरी स्वरांजलि
चित्तौड़गढ़। पार्श्वगायक मोहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि पर युवा लोक कला संस्थान द्वारा आयोजित एक शाम रफ़ी के नाम कार्यक्रम में पुराने सदाबहार गीतों ने समां बांध दिया। इस दौरान स्थानीय लोक कलाकारांे ने पार्श्वगायक मोहम्मद रफी का स्वराजंलि अर्पित की। शहर के एक होटल में सोमवार देर रात तक स्वर, सुर और संगीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। सर्वप्रथम अरबन बैंक अध्यक्ष डॉ आई.एम. सेठिया, विमला सेठिया, एस. एन. बंसल, दीपक भट्ट, महेश दादवानी, अनुराग जिंदल एवं संस्थान के पदाधिकारियों ने रफ़ी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया। गीतों की स्वर संगीता का आगाज दिलदार खान ने दिल का सूना साज से किया, प्रत्यूष टैलर ने तू इस तरह से मेरी जिंदगी, बाल कलाकार आस्तिक पालीवाल ने आने से उसके आए बहार पद्मेश एवं रेशम भोजवानी ने बेखुदी में सनम राजेश राव ने लाखों है निगाह में, डॉ रमेश राव शिंदे और निर्मला नाराणी वाल ने वो जब याद आए, प्रहलाद पाराशर ने अकेले हैं चले आओ, श्याम सुंदर एवं इशा कंवर ने तुम्हारी नजर क्यों खफा हो गई, राकेश वर्मा ने नजर ना लग जाए, हेमंत सुहालका ने ये जुल्फ अगर खुल के बिखर जाए जैसे सदाबहार 30 से ज्यादा गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में अनिल शर्मा, सुनील शर्मा, बसंती लाल वेद, संजय इटोदिया, सहित शहर के गणमान्य नागरिक परिवार सहित उपस्थित थे। कार्यक्रम में सिंथेसाइजर पर राहुल त्रिवेदी, कांगों ढोलक पर विजय देशबंधु, गिटार पर नरेश देशबंधु, आक्टोपेड पर दीपक ढिल्लीवाल, साउंड पर गोपाल रावत एवं संचालन डी सी चौहान ने किया। आभार संस्थान के संरक्षक हेमंत सुहालका ने प्रकट किया।