दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित
भीलवाड़ा । कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण वैज्ञानिक विधि से पशुधन प्रबन्धन विषय पर आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ. सी. एम.यादव ने बताया की भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं पशुपालन का विशेष महत्त्वहै। देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर है। डाॅ.यादव ने पशु एवं जानवर में भेद स्पष्ट करते हुए बताया कि यदि किसान भाईपशुओं की उन्नत नस्लें, उचित आवास, सन्तुलित आहार, प्रमुख रोग एवंरोगोपचार को ध्यान में रखते हुए प्शुपालन करें तो आय में इजाफा हो सकता है।प्रोफेसर के. सी. नागर ने छोटे एवं सीमान्त किसान समन्वित कृषि प्रणाली अपनानेतथा पशुओं के लिए वर्ष भर हरा चारा उत्पादन एवं प्रमुख चारे वाली फसलों कीतकनीकी जानकारी दी। उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा डाॅ. जी.एल. चावला ने कृषक हितार्थ संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुएडेयरी व्यवसाय के साथ दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों के मूल्य संवर्धन की जानकारीदी। कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ. एच. एल. बुगालिया नेगायों में फैल रहे लम्पी स्किन डिजीज (गांठदार त्वचा रोग) के कारण एवं बचावकी जानकारी देते हुए पशुओं के वैज्ञानिक प्रबन्धन द्वारा आमदनी ब-सजय़ाने पर जोरदिया। कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा केसेवानिवृत्त डीन डाॅ. एस. पी. टेलर नेपशुओं हेतु घर पर सन्तुलित आहार तैयार करने की जानकारी के साथ पशुशाला केउचित रख-ंउचयरखाव के बारे में बताया।
कृषि अधिकारी आत्मा, सुनीता डीडवानियाँ ने विभागीय अनुदान एवंगतिविधियों की जानकारी के साथ पशुपालन को रोजगार प्रदान करने तथा किसानोंके आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने वाला व्यवसाय बताया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता प्रकाशकुमावत ने बताया कि प्रशिक्षण के अन्त में प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसे प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रशिक्षार्थी को पुरस्कार प्रदान किए गए।प्रशिक्षण में 30 कृषकों की सहभागिता रही।