संत के क्षण और अन्न के कण का महत्व समझें।

संत के क्षण और अन्न के कण का महत्व समझें।
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मांडल (चन्द्रशेखर तिवाड़ी) -- कस्बे के नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में महा शिवरात्रि के अवसर पर हो रही नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा आज सम्पन्न हो गई।  नीलकंठ महादेव मंदिर के महंत दीपकपुरी जी के सानिध्य में हूई कथा के अंतिम दिन रविवार को कथावाचक अन्तर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय की बड़ौदा पीठ के संत रामप्रसाद जी महाराज ने सोमनाथ, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर,  भीमाशंकर, घुश्मेश्वर सहित द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति के बारे में उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं को बताया। इस अवसर पर कथाकार संत ने संत के क्षण और अन्न के कण का महत्व समझाते हुए कहा कि अन्न का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए उसका एक एक कण महत्वपूर्ण होता है। उसी प्रकार संत का सक्षय भी महत्वपूर्ण होता है।  संतों से संतों  मिली हुई शिक्षा व्यक्ति का जीवन बदल सकती है। और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की कामना करने वाले संतों का संग जस भी मिले लोककल्याण की चर्चा कर सत्संग का लाभ लेना चाहिए। कथा विराम के बाद आयोजन में अन्य स्थानों से आये संतों व साधु महात्माओं को नीलकंठ महादेव मंदिर के महंत दीपकपुरी और आयोजन समिति के सदस्यों ने विदाई दी तथा महाप्रसाद का आयोजन किया गया। महंत दीपकपुरी जी ने कथा के सफल आयोजन में सहयोग के लिए कस्बावासियों का आभार जताया।

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