रोज तीन घंटे से अधिक मोबाइल चलाना बच्चों के लिए हो सकता है नुकशान दायक

शोध से पता चला है कि कमर दर्द और रीढ़ की हड्डी में परेशानियों की वजह में दिन में तीन घंटे से अधिक समय तक किसी भी तरह की स्क्रीन को देखना (मोबाइल, टैब आदि), काफी करीब से स्क्रीन देखना और पेट के बल बैठना या लेटना शामिल हैं यानी रीढ़ की हड्डी में आने वाली किसी तरह की दिक्कतों के प्रमुख कारण यही हैं।
आजकल स्मार्टफोन और टैब जैसे गैजेट का बाजार बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। भारत इसका सबसे अहम बाजार हो गया है लेकिन यही स्मार्टफोन बच्चों के लिए मीठा जहर साबित होने लगा है। ऑनलाइन क्लासेज के कारण स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल काफी हद तक बढ़ा है। आजकल के नवजात बच्चे तो बिना मोबाइल दूध तक नहीं पी रहे और मां-बाप भी बच्चों को उलझाए रखने के लिए मोबाइल पकड़ाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता कि यह मोबाइल उनके बच्चों के भविष्य और सेहत को किस कदर बर्बाद कर रहा है। एक नई रिसर्च से पता चला है कि स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से बच्चों में कमरदर्द, आंखों की कम रौशनी समेत कई स्वास्थ्य परेशानियां हो रही हैं।
FAPESP द्वारा वित्तपोषित और वैज्ञानिक पत्रिका हेल्थकेयर में एक लेख प्रकाशित हुआ है। ब्राजील के शोधकर्ताओं ने रीढ़ की हड्डी की दिक्कतों के कारण को लेकर एक शोध किया है। शोध से पता चला है कि कमर दर्द और रीढ़ की हड्डी में परेशानियों की वजह में दिन में तीन घंटे से अधिक समय तक किसी भी तरह की स्क्रीन को देखना (मोबाइल, टैब आदि), काफी करीब से स्क्रीन देखना और पेट के बल बैठना या लेटना शामिल हैं यानी रीढ़ की हड्डी में आने वाली किसी तरह की दिक्कतों के प्रमुख कारण यही हैं।
यह अध्ययन थोरैसिक स्पाइन पेन (टीएसपी) पर केंद्रित था। थोरैसिक रीढ़ छाती के पीछे स्थित होती है जो कि कंधे के ब्लेड के बीच और गर्दन के नीचे से कमर तक फैली हुई है। इस शोध में हाई स्कूल के पहले और दूसरे वर्ष के 14- से 18 वर्षीय पुरुष और महिला छात्रों को शामिल किया गया था। इसमें 1,628 छात्रों ने हिस्सा लिया था। शोध से पता चला कि थोरैसिक स्पाइन पेन से लड़कों के मुकाबले लड़कियां अधिक प्रभावित हैं।
थोरैसिक स्पाइन पेन में इजाफा की वजह
टीएसपी दुनियाभर में सामान्य आबादी के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में अब आम हो गया है। इससे पीड़ितों में 15-35 फीसदी वयस्क और 13-35 फीसदी बच्चे शामिल हैं। महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के इस्तेमाल में बेतहाशा वृद्धि ने इस समस्या को और भी बदतर बना दिया है। कई शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है। हाई स्कूल के बच्चों में यह समस्या सबसे अधिक देखी जा रही है, क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चे अपना अधिकतर समय गैजेट के साथ बिता रहे हैं।
