VIDEO कोटड़ी मेले मे चारभुजानाथ भगवान के साथ डुबकी लगाने उमड़ा भक्तों का रेला
भीलवाड़ा/कोटड़ी(विजय,तनिष्क) कोटड़ी स्थित मेंवाड़ के ऐतिहासिक भगवान श्रीचारभुजानाथ का जलझूलन महोत्सव सोमवार को हर्षोल्लास के सा ऊथ मनाया गया। मेले में हजारों श्रद्धालुओं का जनसेलाब उमड़ा। शाम ढ़लने के साथ ही धर्माऊ तालाब पर भगवान के साथ भक्तों ने भी डुबकी लगा कर अपने को धन्य महसूस किया।
भीलवाड़ा ही नहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अनेक क्षेत्रों के साथ ही आसपास के गांवों से कोटड़ी पंहुचे हजारों श्रद्धालुओं ने खुल कर मेले का आनन्द लिया। जन-जन की आस्था का केन्द्र भगवान श्रीचारभुजानाथ के ऐतिहासिक एवं धार्मिक मेले के दौरान आज षोडशोपचार, मंगलाचरण के बाद दुग्धाभिषेक जला अभिषेक कर करा महाआरती की गई।
भगवान की जलझूलन यात्रा के तहत मन्दिर से बाहर निकलते ही कोर्ट के गणेशजी के सन्मुख होते हुए भक्तों के कंधों पर जूलते हुए आगे बढ़ते रहे। मन्दिर के मुख्यद्वार तथा जिस मार्ग से भी प्रभू निकले भक्तों ने गुलाब पत्ती से पुष्पवर्षा करते नजर आए। भगवान की निज मूर्ति के विराजमान होने से भीड़ में प्रभू दर्शन पाने के साथ ही बेवाण के हाथ लगा कर भक्त अपने को धन्य महसूस कर रहे थे। चारभुजा भगवान की रेवाड़ी चारभुजा मार्ग से होते हुए जैसे ही चोकी के मन्दिर पंहुची। अन्य रेवाड़ियों में कस्बे के गली मोहल्ले के प्रभू भी जल विहार करने के लिए चौकी के मन्दिर पंहुचे। भगवान चारभुजानाथ भक्तों के कंधों पर सवार हो कर रातभर नगर भ्रमण करते हुए गुरूवार सवेरे 9 बजें 18 घण्टे बाद वापस उसी रास्ते से मन्दिर पंहुच अपने स्थान पर विराजमान होंगे।
भगवान श्री चारभुजानाथ के रेवाड़ी में विराजमान होने से पूर्व पुरानी मान्यता के अनुसार गांव के पटेल द्वारा कपड़ा लाकर मंदिर परिसर में ही दर्जी समाज द्वारा हाथों की सुई से भगवान को पहनाई जाने वाला बागा तैयार किया जाता है। इस परंपरा को निभाते हुए जलझूलनी एकादशी के दिन ही सवेरे दर्जी समाज के लोगों ने मन्दिर परिसर में बैठ कर ही बागा(पोसाक) को तैयार कर प्रभु के चरणों में अर्पित किया। उसी बागा को पहनकर भगवान जल झूलन को निकले।
वही सुबह से ही मंदिर में दर्शनों के लिए लोगों की कतारें लगी रही। इस बार मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को छप्पन भोग का प्रसाद वितरित किया गया। जबकि कल देर रात से ही लोगों का मंदिर पहुंचना शुरू हो गया था हजारों लोग भीलवाड़ा बनेड़ा शाहपुरा जहाजपुर मांडलगढ़ सहित जिले के अन्य स्थानों से भी पदयात्रा के रूप में ढोल नगाड़ा डीजे के साथ कोटड़ी चारभुजा पहुंचे।भगवान के जल-जुलन में कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर भी शामिल हुए।
एक मात्र धाम जहां जलझूलन पर निज मूर्त निकलती है निज धाम से बहार।*
श्रीचारभुजानाथ के इस एतिहासिक एवं धार्मिक पर्व जलझूलनी एकादशी पर सुबह कोटडी श्याम का पंडितों के षोडशोपचार, मंगलाचरण के साथ दुग्धाभिषेक एवं त्रिवेणीधाम से कावड़ में लाए जल से अभिषेक हुआ उसके बाद भगवान को स्वर्णा भुषण से जड़ित पोषाक धारण करा महाआरती की गई । तीसरे पहर के शुभ मुर्हत में भगवान चारभुजानाथ की अनुमति मिलते ही पुजारी व भक्त निज मूर्त ठाकुरजी को रजत रेवाड़ी में बिराजमान कराते है। कोटडी श्याम का सिंहासन इस दौरान सालगराम जी संभालते है। उसके बाद पटेल द्वारा लाए सूती लाल टूल के कपड़े व दर्जी समाज द्वारा बनाई गयी पोशाक को धारण कर ठाकुरजी को किसान का रूप धारण कराते है। उसके बाद भक्तो के कंधों पर सवार होकर जैसे ही ठाकुरजी निज धाम से बाहर निकलते तो दर्शन को आतुर हजारो भक्त पुष्प वर्षा एवं जयकारें के साथ कोटडी श्याम का दीदार हेतु उमड़ पड़े।
*चारभुजा का बड़े भाई से हुआ मिलन।*
शोभायात्रा मुख्य बाजार होते हुए जैसे ही चौकी मन्दिर पहुँची तो चौकी मन्दिर के चारभुजा कोटडी श्याम के बड़े भाई दोनो विमानों का मिलन राम भरत सा मिलन हुआ ।
वही से कस्बे के सभी मंदिरों के 11 बेवाण कोटडी श्याम के विमान के साथ जलझुलन को रवाना हुए हजारो भगत कोटडी श्याम के भजनों पर नाचते गाते झूमते हुए पवित्र सरोवर के घाट पर पहुँचे जहां भगवान जलझुलन किया । घाट पर महाआरती हुई हैं।
*घर घर के बाहर हुई पुजा अर्चना।*
जल झूलन पर कोटडी श्याम पूरे कस्बे में भक्तों के कंधे पर सवार रहे , हर घर के बाहर ठाकुर जी की पूजा अर्चना हुई ग्रामीणों को बेसब्री से वर्ष में इस मौके का इंतजार रहता है, पूरी रात कोटडी श्याम के भक्त भजनों पर श्याम की मस्ती में झुमते रहे ।
व भक्तों को दर्शन दिए ।
करोड़ पति कोटड़ी श्याम की महिमा है निराली।
कहते हैं कि जिसने भी सच्चे मन और श्रद्धा से श्याम से जो भी मांगा है भगवान ने उसकी हर मनोकामना पूरी की है।
भगवान से की गई मन्नत पूरी होने पर बड़ी संख्या में लोग चढ़ावा चढ़ाते है । जिससे प्रति माह लाखों रुपए प्राप्त होते है। चढ़ावे में सोना, चान्दी, व अन्य सामग्री के अलावा - विदेशी मुद्रा तक भी भेंट के रूप में निकलती है ।
मेवाड़, मारवाड़, मालवा, हाडोती सहित अनेक क्षेत्रों से श्रद्धातु यहां पर पंहुच अपनी अरदास लगाते है तथा मन्नत पूरी होने पर परिवार सहित पंहुच कर भगवान को भोग चढ़ाते है ।
भण्डारे को प्रतिमाह अमावस्या पर मन्दिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों व राजकीय अधिकारीयो की उपस्थिति में आम चोखला के समक्ष खोला जाता है। मन्दिर ट्रस्ट में भक्तों द्वारा अखण्ड ज्योत व राजभोग की राशि जमा कराई जाती है।