VIDEO  बिन बारिश उफान पर नाले, काले पानी से बंजर होती जमीनें, फिर भी जिम्मेदारों की आंखों पर जाला

VIDEO  बिन बारिश उफान पर नाले, काले पानी से बंजर होती जमीनें, फिर भी जिम्मेदारों की आंखों पर जाला
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भीलवाड़ा (प्रहलाद तेली) आज विश्व पर्यावरण दिवस है । आज के दिन पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे है।वही ओद्यौगिक नगरी भीलवाड़ा में यहां संचालित हो रही ओद्योगिक इकाइयों द्वारा नदी नालों में रोक के बावजुद चोरी छूपें काला पानी छोड़े जाने से नदी नाले प्रदूषित हो चुके है।

सूरज की तल्खी ओर प्रचण्ड गर्मी के वर्तमान दौर में बीते लम्बे समय से जिले के अधिकांश नदी नाले छोटे-बड़े तालाब एनीकट आदि भले ही सूख कर मैदानों में तब्दील हो गये हो परन्तु शहर के चित्तौड़ मार्ग स्थित गुवारड़ी नाले में रसायनयुक्त पानी का जमावड़ा बना हुआ है।

केमिकल युक्त दूषित काला पानी   सूखे कंठों की प्यास तो नहीं बुझा सकता है बल्कि आसपास की जमीनों को बंजर बनाने में अवश्य कारगर साबित हो रहा है । इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जिम्मेदारों की उदासीन कार्यशैली एवं उनकी आंखों पर आये झालों से उन्हें काला पानी नजर नहीं आ रहा है।

जबकि गुवारड़ी ही नहीं मण्डपिया नाले से भी औद्योगिक इकाइयों द्वारा चोरी छिपे छोड़ा जा रहा प्रदूषित काला पानी सीधे बनास नदी में समा प्रदूषित कर रहा है। यही नहीं बीते लम्बे समय से चल रही इस कारगुजारी से बनास नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवा खेड़ों में जहां भूजल स्तर प्रदूषित होने से खेतों की जमीनें अनुपयोगी हो रही है। वहीं लोगों के सामने पेयजल संकट चुनौती बना हुआ है वही इस जहरीले पानी की वजह से पशु भी शिकार हो रहे है।
  उक्त नालों की हकीकत जब मौके पर  देखी तो इनमें कई जगहों से काले पानी की आवक होती नजर आयी। पिपुल्स फार एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबुलाल जाजू ने बताया कि‍ औद्योगिक इकाइयों द्वारा चोरी छिपे रात के अंधेरे में इकाइयों का प्रदूषित पानी खुले में छोड़ दिया जाता है जो बहता हुआ गुवारड़ी व मण्डपिया नालों में जमा होता है तथा बाद में बनास नदी तक पहुंच जाता है है।  तमाम पाबंदियां के बाद भी नालों में रसायनयुक्त पानी की मौजूदगी फिर सामने आने लगी है। गौरतलब है कि जिले में औद्योगिक विकास के साथ साथ बीते लम्बे समय से गहराती काले पानी की समस्या से कोठारी एवं बनास नदी के समीप बसे दर्जनों गांवों के वाशिन्दों को तमाम कोशिशों के बावजूद राहत नहीं मिल सकी। जबकि शहर में सैकड़ों औद्योगिकइकाइयां संचालित है जहां वायु और जल प्रदूषण की शिकायतें सामान्य हो चुकी है। इनमें खासकर प्रोसेस हाउसों द्वारा काला पानी छोड़े जाने की शिकायतें सर्वाधिक है। उधर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के जिम्मेदारों द्वारा पानी के नमूने लेकर जांच के लिये भिजवा अपने दायित्वों की इतिश्री जरूर कर ली जाती है परन्तु अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने से जहां समस्या जस की तस बनी हुई है और इसी के चलते इकाई प्रबंधनों के हौसले बुलंदी पर है।

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