VIDEO गद्दी छोड़ो-मंदिर सौंपों आंदोलन में शहीद हुए जैन और सेन की अयोध्या में लगे प्रतिमा, परिजनों ने उठाई मांग
भीलवाड़ा (विजय/सम्पत)। बत्तीस साल पहले सांगानेरी गेट के निकट पुलिस गोलियों से शहीद चौक लाल हो गया था। यहां शहीद हुए दो युवाओं की हमेशा की याद बनाए रखने के लिए परिजन और संगठन अब अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में चिरस्थाई स्मृति स्थापित करने की मांग की है। वैसे राम जन्म भूमि संगठन ने इस दिशा में पहल करते हुए राम मंदिर के लिए गोली खाने वाले रामभक्तों की मूर्तियां म्युजियम में लगाने की योजना पर विचार कर रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के ओमप्रकाश बूलिया ने हलचल से बातचीत करते हुए कि राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में गद्दी छोड़ो-मंदिर सौंपों अभियान चलाया था। इसी को लेकर भीलवाड़ा में भी हिंदू संगठनों ने जुलूस निकाल रहे थे। लेकिन प्रशासन ने जुलूस को सांगानेरी गेट पर रोक दिया। पुलिस ने गुलमण्डी से होकर इस जुलूस को नहीं निकालने के लिए पहले लाठी चलाई और फिर कई राउण्ड गोलियां दागी जिससे सुरेश जैन और रतन सेन नामक रामभक्तों को गोलियां लगी और दोनों को खून से लथपथ अवस्था में हॉस्पीटल ले गये जहां उनकी मृत्यु हो गई। बूलिया ने कहा कि प्रशासन ने जब इस जुलूस को सांगानेरी गेट पर रोका तो लोगों ने पूछा कि क्या गुलमण्डी लाल चौक है जहां हिंदू नहीं जा सकता। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर-एसपी ने नहीं सुनी और उन्होंने लाठीचार्ज व गोलियां चलवा दी। बूलिया ने कहा कि गोलियां भी एक दो नहीं बल्कि सैंकड़ों गोलियां चलाई। उन्होंने इस घटना के लिए प्रशासन को कोसते हुए नादानी पूर्ण कार्रवाई बताया और कहा कि हिंदुओं को गुलमण्डी में जाने से रोकने का अर्थ यह होता है कि यह कोई मुस्लिम राज्य है। बाद में इस मामले की जांच हुई और दोनों आला अधिकारियों का तबादला कर दिया।
घर-घर में पूजे जाते सुरेश व रतन सेन :
खामोर निवासी शांति लाल जैन ने कहा कि 12 मार्च 1991 को उनका छोटा भाई सुरेश जैन भी जुलूस में शामिल था। अचानक घर पर सूचना आई कि उसे अस्पताल ले जाया जा रहा है। हम लोग वहां पहुंचे और देखा तो सुरेश खून से लथपथ था। हम हॉस्पीटल पहुंचे लेकिन दो मिनट में ही उसने दम तोड़ दिया। मेरी भी तबियत बिगड़ गई और मैं पांच दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा। उसके अन्तिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि उनके भाई को आज भी बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और भीलवाड़ा के घर-घर में दोनों को पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में गोली लगने से शहीद हुए जैन और सेन की वहां प्रतिमाएं या चित्र लगेंगे जो भी लगे जिससे उनकी स्मृति बनी रहे। उन्होंने कहा कि इस बारे में पहले भी घोषणाएं की गई लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने मांग की कि दोनों की वहां किसी भी सूरत में स्मृति लगे ताकि पीछे वाली पीढिय़ों में उन्हें देखकर संस्कार जगे और उन्हें देखकर राम को कोई नहीं भूले। खामोर के ही रहने वाले महावीर सेन ने कहा कि उसने बालपन में ही अपने पिता को खो दिया। यहां राम मंदिर के जुलूस में मेरे पिता रतनलाल सेन को भी गोली लगी थी और वे शहीद हो गये थे। उनकी प्रतिमा भी राम मंदिर में लगाई जाये यही उनकी इच्छा है।
यह है योजना :
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि समिति द्वारा हाल ही बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई थी कि देश भर में राम मंदिर आन्दोलन के दौरान पुलिस गोली से शहीद हुए लोगों की प्रतिमा यहां बनाए जा रहे म्युजियम में स्थापित की जाये। वहीं स्मृति बनाए रखने के लिए अन्य प्रस्ताव लिये है जिन पर विचार किया जा रहा है।