पृथ्वी को बचाने का अन्तिम उपाय है वैदिक कृषि- प्रो. शर्मा
निंबाहेड़ा। संसार में प्रत्येक जीव की आवश्यकता तथा प्रयोजन है, इसमें सभी को कल्याण, ऐश्वर्य, आनन्द के साथ जीवन जीने के लिए वेद प्रेरित करते हैं। जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए वेदों की महती आवश्यकता है। जिस प्रकार पृथ्वी पर अन्न उत्पन्न होते हैं वैसे ही हमारा शरीर भी अन्नमय कोश से आप्लावित है। इस संसार में वेद केवल मुक्तिगामी नही भुक्तिगामी मार्ग की बात करता है। वेद ज्ञान सप्ताह के समापन समारोह में रविवार को मोहन लाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो नीरज शर्मा ये बाते बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऋषि क्रांतिदर्शी थे तभी उन्होंने हजारों वर्ष पहले ही वैदिक कृषि के लिए प्रेरित किए परन्तु आज संसार ने जैविक खाद रूपी विष का प्रयोग कर नई चुनौती को जन्म दिया है। इससे बचने का एक ही उपाय है वैदिक ऋषियों द्वारा प्रदत्त कृषि। शेयर मार्केट का कार्य वेदों के मुताबिक निंदनीय है कृषि कार्य सर्वश्रेष्ठ है। मुख्य अतिथि राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि वैदिक उन्नयन के लिए वेदपीठ एवं वैदिक विश्वविद्यालय के द्वारा किया जा रहा कार्य विश्वव्यापी है और सराहनीय है। उन्होंने पांडुलिपियो पर कार्यशाला आयोजित करवाने का आश्वासन दिया तथा वेदों की सभी 11 शाखाओं का अध्ययन यहां हो सके इसकी व्यवस्था करने की बात भी की। संरक्षक विश्वविद्यालय के चेयर पर्सन कैलाश चंद्र मूंदड़ा ने कहा कि वैदिक विश्वविद्यालय एवं वेदपीठ ऋषियों द्वारा प्रदत्त गुरुकुल परंपरा पर कार्य करते हुए राष्ट्र सेवा में लगे हैं। विशिष्ट अतिथि विकास मारग अतिरिक्त न्यायिक न्यायाधीश रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ताराशंकर शर्मा ने कहा कि तीन प्रकार के लोग ही धरती से रत्न प्राप्त कर सकते हैं जैसे शूरवीर, ज्ञानी और सेवाभावी। वैदिक विश्वविद्यालय में इस वेद ज्ञान सप्ताह का आयोजन होना निश्चित रूप से भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने वाला है। कार्यक्रम संयोजक एवं विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि वेद ज्ञान सप्ताह श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमे कुल 7 व्याख्यान एवं संगोष्ठी करुण्डा, मंडलाचारण, सवालिया जी, निंबाहेड़ा, जावदा आदि जगहों पर अयोजित हुई। समापन सत्र में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं तथा कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक डॉ चंद्रवीर सिंह राजावत मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी राकेश पारीक, शिक्षक वर्ग में अधिष्ठाता डा. स्मिता शर्मा, डॉ लोकेश चौधरी, डॉ सुनील शर्मा, डॉ धर्मेन्द्र चौबे, देवीलाल कुम्हार, साक्षी मिश्रा, हर्षिता, देवेंद्र जैन, वेदपीठ प्रधानाचार्य गोपाल शर्मा, त्रिलोक शर्मा, मन्दिर मंडल न्यास के अध्यक्ष कैलाश बांगड़ आदि उपस्थित रहे।