मानपुरा जैन समाज द्वारा विनयांजलि व दीप प्रज्वलित किए

मानपुरा जैन समाज द्वारा विनयांजलि व दीप प्रज्वलित किए
X

 

मांडलगढ़ महावीर सेन मानपुरा जैन समाज द्वारा"एक संत अरिहंत सा" जैन धर्म की ध्वजा को सर्वोच्च शिखर पर फहराने वाले उत्कृष्ट त्याग तपस्या की मूर्ति संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की 18 फरवरी को बहुत ही शांत परिणाम से समाधि हुई जहां पूरे विश्व स्तर पर विनयांजलि का कार्यक्रम रखा गया वही मानपुरा दिगंबर जैन समाज द्वारा आचार्य श्री को विनयांजलि दी ।प्रमोद जैन ने बताया कि इस युग का सौभाग्य है कि इस युग में आचार्य भगवान का जन्म हुआ और हम सभी का यह सौभाग्य के आचार्य श्री के समय में हम सभी का जन्म हुआ भक्त दूर से जिनके दर्शन करने को ही अपना सौभाग्य समझते हैं एक ऐसे संत जिनका पूरा परिवार गृह त्याग कर भगवान महावीर स्वामी के मार्ग को चुना और पूरा परिवार दीक्षित हुआ आचार्य विद्यासागर जी सिर्फ जैनों के ही संत नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए धरोहर थे जिन्होंने जेल में कैदियों को रोजगार दिलाने हेतु हथकरघा प्रारंभ किया , अनेक गौशालाएं संचालित की आचार्य श्री के चातुर्मास लगभग जंगल में या नदी किनारे हुआ करते थे और वहां नये तीर्थ का निर्माण होता था कर्नाटक के ग्राम सदलगा में जन्मे आचार्य श्री ने सभी प्रान्तों में अपनी त्याग तपस्या से धर्म प्रभावना की  विनयांजलि में श्री पुष्प जैन , संतोष जैन, तरुण जैन, साक्षी,पायल जूली, लवि ,अंजलि ,अंजना ,ममता आदि ने विनयांजलि देते हुए कुछ न कुछ नियम लिए 
इस अवसर पर फूलचंद बगड़ा,कंवरलाल सबदरा,कन्हैया लाल सेठिया, पदमकुमार, चांदमल बगड़ा,पारस बगड़ा,पुष्प कुमार ठग,नेमीचंद सबदरा,सतेन्द्र जैन व  समाज के सभी बच्चे, पुरुष एवं महिलाएं उपस्थित रहे ।

Next Story