बचपन में हिंसा से बच्चों में हिंसक प्रवृति जन्म लेती... मालू
बिहाडा जहाजपुर BHN. बच्चें का कोमल मन कोरे कागज की तरह होता है जिस तरह का आचरण बच्चों के साथ किया जायेगा आगे चलकर उसी का अनुसरण करेंगे। बचपन में ही दिया गया षिक्षामय वातावरण आगे की बुनियाद बनता है। यह उदगार रा.उ.मा.वि बिहाडा के कार्यवाहक प्राधानाचार्य कमलेष कुमार मालू ने राज्य सरकार की ओर से चलाये जा रहे बाल संरक्षण संकल्प यात्रा के दौरान बाल अधिकारों पर आयोजित संगोष्ठि के दौरान कही। बालश्रम, बालहिंसा, बाल विवाह एवं बाल तस्करी को लेकर बाल अधिकारिता विभाग, यूनिसेफ एवं पीसीसीआरसीएस के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे बाल संरक्षण संकल्प यात्रा के दौरान बाल अधिकारों की जागरूकता के लिए कई नवाचार कराये जा रहे है। इसी कडी में खेल-खेल में जन्म से लेकर 18 वर्ष की आयु तक के जीवनचक्र की रोचक जानकारी दी गई। ग्राम पंचायत के राजीव गांधी केन्द्र पर सरपंच चन्द्रकांता गुर्जर की अध्यक्षता में बाल संरक्षण इकाई का गठन किया गया, जिसमें दो बाल प्रतिनिधि सम्मिलित किये गये।
वही यात्रा के बाल मित्र दो दल बनाकर वार्डपंच के नेतृत्व में घर-घर दस्तक के दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से वंचित लोगों को सम्बल प्रदान करने का कार्य किया। दस्तक के दौरान पिता द्वारा बदनामी की डर से आत्महत्या करने के पश्चात अनाथ बच्चें नरेन्द्र कीर को पलानहार से जोडने की कवायद बाल मित्रों द्वारा की गई। ग्राम भ्रमण के दौरान 13 आवेदन ऑनलाईन कराने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई। ग्राम भ्रमण के दौरान सरपंच चन्द्रकांता गुर्जर, एल.डी.सी शान्तिलाल मीणा, पंचायत सहायक रमेष सैन, आंगनवाडी कार्यकर्ता सुमित्रा शर्मा, कौषल्या गुर्जर, आषा सहयोगिनी राधा कीर के साथ यात्रा समन्वयक कैलाष सैनी, सीताराम गुर्जर, सोना बैरवा, सफिस्ता खान, मंनजीत गुर्जर, राकेष वर्मा उपस्थित थे।