क्या बड़ा भूकंप आने वाला है इस इलाके में! 24 घंटे में देश के हर जोन में लगे भूकंप के बड़े झटके

क्या बड़ा भूकंप आने वाला है इस इलाके में! 24 घंटे में देश के हर जोन में लगे भूकंप के बड़े झटके
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बीती रात को जब चंडीगढ़ के डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे में लोग सो रहे थे, तो इस इलाके की जमीन भूकंप से हिल गई। ज्यादातर लोगों को इस भूकंप की भनक तक नहीं लगी। सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि बीते 24 घंटे में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लेकर बंगाल की खाड़ी और अंडमान के इलाके समेत जम्मू-कश्मीर और बंगाल समेत असम की भी जमीन में बनी एनर्जी लगातार भूकंप के झटके दे रही है। अचानक हर देश के अलग-अलग हिस्सों में कांपने वाली जमीन को लेकर अब खौफ यह बन रहा है क्या कोई बहुत बड़ा भूकंप आने वाला है? वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन के भीतर लगातार बना रही एनर्जी की वजह से ही ये झटके आ रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल भूकंप के यह मामले बीते कुछ दिनों में बढ़े हैं। जो कई मायनों में चिंता की भी बात है।

 

नेपाल में लगातार आने वाले भूकंप और उसके होने वाले नॉर्थ इंडिया के इलाकों में असर के साथ-साथ भूकंप का क्षेत्र भी बदलता जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे के भीतर देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप की घटनाएं नोटिस की गई हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक मंगलवार की सुबह 4 बजे पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए। उसके थोड़ी देर बाद ही 5 बजे बंगाल की खाड़ी में भूकंप आया। इस भूकंप के बाद दिन में साढ़े बारह बजे नेपाल के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में भूकंप आया और देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में झटके महसूस किए गए। इस झटके के बाद मंगलवार को ही अंडमान के इलाके में तकरीबन ढाई बजे भूकंप महसूस किया गया। अंडमान के बाद शाम को 6:45 बजे जम्मू कश्मीर के इलाके में भूकंप आया। उसके बाद रात को तकरीबन सवा एक बजे चंडीगढ़ में भूकंप आया। उसके बाद बुधवार की सुबह पौने ग्यारह बजे पश्चिम बंगाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए। जबकि उसके थोड़ी ही देर बाद असम में भी भूकंप आया।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन के भीतर बन रही एनर्जी के चलते अलग-अलग इलाकों में भूकंप आ रहे हैं। वरिष्ठ भू वैज्ञानिक डॉक्टर एमएन चंदेल कहते हैं कि नेपाल में 3 तारीख की रात को आए बड़े भूकंप के बाद अब तक 20 बार तो नेपाल में ही भूकंप आ चुका है। वह कहते हैं कि वैसे तो नेपाल के इलाके में अमूमन भूकंप के झटके आते ही रहते हैं, लेकिन भारत के इन हिस्सों में जिस तरीके से भूकंप महसूस किया जा रहा है, वह जरूर चिंता की बात है। हालांकि इस सवाल पर कि क्या आ झटकों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि क्या कोई बड़ा भूकंप आने वाला है, तो इस पर वह कहते हैं कि यह कहना बड़ा मुश्किल है। डॉक्टर चंदेल का मानना है कि लगातार आ रहे भूकंप से एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि जमीन के भीतर एनर्जी का ठीक-ठाक निर्माण हो रहा है। इस एनर्जी के चलते ही जमीन के भीतर हलचल मच रही है और भूकंप आ रहे हैं।

उनका मानना है कि अगर इस तरीके के कम तीव्रता के भूकंप आते हैं तो यह माना जाता है कि एनर्जी रिलीज हो रही है और भूकंप आ रहे हैं। यह एक तरह से राहत वाली बात मानी जा सकती है कि जमीन के भीतर एनर्जी का संग्रह नहीं हो रहा है और वह झटकों के माध्यम से निकल रही है। यह प्रक्रिया उन इलाकों में भूकंप आने की चिंता को कम कर देती है, जहां पर अक्सर भूकंप आते रहे हों। लेकिन डॉक्टर चंदेल कहते हैं कि भारत में जिस तरीके के भूकंप की संख्या बीते कुछ दिनों में ज्यादा बढ़ी है, जो निश्चित तौर पर चिंता की बात लग रही है। वह कहते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में खासतौर से जो सीस्मिक जोन की श्रेणी में आते हैं, वहां पर पिछले कुछ दिनों में भूकंप आने की सूचनाएं लगातार मिल रही हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक बीते एक दिन के भीतर जितने भूकंप अपने देश में महसूस किए गए हैं, उनमें सभी की तीव्रता तीन से ज्यादा ही रही है। जबकि कुछ की तीव्रता तो चार से भी ऊपर थी।

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अन्ना बी स्वामी कहते हैं कि दरअसल जिस सीस्मिक जोन में दिल्ली-एनसीआर आता है वह जोन नंबर चार है। यह वह खतरनाक जोन है जहां पर 7 तीव्रता का भूकंप भी आ सकता है। उनका मानना है कि लगातार है भूकंप के झटके से यह बात तो स्पष्ट होती है कि जमीन के भीतर प्लेटों के टकराने से एनर्जी का लेवल लगातार बन रहा है। खासतौर से कभी बंगाल की खाड़ी, तो कभी अंडमान और कभी जम्मू कश्मीर तो कभी चंडीगढ़ में भूकंप के झटके बताते हैं कि सीस्मिक जोन में कुछ हलचल तो हो रही है। हालांकि उनका कहना है कि रिक्टर स्केल पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, उससे किसी बड़े नुकसान की तो संभावना नजर नहीं आती है। लेकिन नेपाल में आए भूकंप की तीव्रता का भूकंप अगर देश के किसी सीस्मिक जोन में आता है, तो निश्चित तौर पर बड़ा नुकसान हो सकता है।

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सीस्मोलॉजी डिविजन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी टीम ने देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के लिहाज से अपना सर्वे भी किया है। ऐसे सर्वे में शामिल एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व है। यहां की लाखों इमारतें दशकों पुरानी हो चुकी हैं और कई मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि नदियों के या उनके कैचमेंट एरिया से कुछ किलोमीटर के दायरे में बनने वाली इमारतों के नीचे की मिट्टी भूकंप के झटकों को सहने के लिहाज से सबसे कमजोर मानी जाती है। इसलिए इस दायरे में आने वाली सभी बिल्डिंग है ना सिर्फ खतरनाक है बल्कि नोएडा या दिल्ली जैसे शहर में कभी एपीसेंटर होने की वजह से बड़ा खतरा भी ला सकती हैं। भू वैज्ञानिकों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर के ही हिस्से में आने वाले पानीपत में वह फॉल्ट लाइन मौजूद है, जिसके चलते भविष्य में किसी बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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