थोक महंगाई दर नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 0.73% हुई, खाने-पीने की कीमतों में बढ़ोतरी का दिखा असर

थोक महंगाई दर नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 0.73% हुई, खाने-पीने की कीमतों में बढ़ोतरी का दिखा असर
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देश की थोक मुद्रास्फीति सालाना आधार पर दिसंबर में नौ महीने के उच्चतम स्तर 0.73 प्रतिशत पर पहुंच गई, नवंबर में यह 0.26 प्रतिशत थी। लगातार सात महीनों तक नकारात्मक रहने के बाद नवंबर में थोक महंगाई दर सकारात्मक दायरे में लौट आई थी। दिसंबर महीने में प्राथमिक वस्तुओं (खाद्य पदार्थों, खनिजों और सब्जियों) की थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 5.78 प्रतिशत हो गई जो नवंबर महीने में 4.76 प्रतिशत थी। इस बीच, ईंधन और बिजली व विनिर्माण क्षेत्र में मुद्रास्फीति क्रमश: शून्य से 2.41 प्रतिशत नीचे और शून्य से 0.71 प्रतिशत नीचे रही।

खाने-पीने की कीमतों में इजाफा होने से बढ़ी थोक महंगाई दर

दिसंबर में खाने-पीने की चीजों में इजाफा होने से डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर नवंबर, 2023 के 4.69 प्रतिशत से बढ़कर 5.39 प्रतिशत हो गई। खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई दर दिसंबर में बढ़कर 9.38% रही, जो नवंबर में 8.18% थी। दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर 26.30 फीसदी, जबकि दालों की महंगाई दर 19.60 फीसदी थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी महंगाई के आंकड़े
 

खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा जारी होने के कुछ दिनों थोक महंगाई दर के आंकड़े सामने आए हैं। खुदरा महंगाई दर नवंबर के 5.55 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर चार महीने के उच्च स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि, मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2 से 6 प्रतिशत के सहिष्णु दायरे (टॉलरेंस बैंड) के भीतर बनी हुई है।

आरबीआई ने चालू वित्तीय वर्ष में 5.4% महंगाई दर रहने का जताया है अनुमान

दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा (एमपीसी) में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रास्फीति का लक्ष्य 5.4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। अगस्त की एमपीसी में, रिजर्व बैंक के एमपीसी ने अपने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया था।

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