उद्यान विभाग की योजनाओं में अनुदान के लिए 15 मई तक कर सकेंगे आवेदन

उद्यान विभाग की योजनाओं में अनुदान के लिए 15 मई तक कर सकेंगे आवेदन
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चित्‍तौड़गढ़। उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में आवेदन करने वाले किसानों को अब अनुदान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। राज्य सरकार ने विभाग के माध्यम से संचालित सभी योजनाओं में किसानों के चयन का कार्यक्रम जारी कर दिया है। उद्यान आयुक्तालय की गाइडलाइन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न योजनाओं में अनुदान के लिए आवेदन करने वाले किसानों का लॉटरी द्वारा चयन इसी महीने 25 मई तक किया जाएगा।

विभाग की सभी योजनाओं में किसानों के चयन के लिए इस बार एक साथ लॉटरी निकाली जाएगी। चयन प्रक्रिया में दिनांक 16.06.2022 से आवेदन करने वाले कृषकों को सम्मिलित करते हुये दिनांक 15.05.2023 तक ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने वाले कृषकों एवं पूर्व वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन कृषकों ने राज किसान साथी पोर्टल व ई-मित्र पोर्टल पर आवेदन किया गया था, परन्तु उनका चयन/वरीयता सूची में नाम नहीं आने के कारण लाभान्वित नहीं किया गया उन कृषकों के आवेदन पत्र राज किसान साथी पोर्टल पर वर्ष 2023-24 हेतु कैरी फॉरवर्ड करते हुए पात्र माना जावेगा। 15 मई के बाद प्राप्त आवेदनों को अगले साल के लिए लंबित रखा जाएगा। अब तक विभाग के माध्यम से संचालित विभिन्न योजनाओं में लॉटरी की तिथि तय नहीं रहती थी। इस वजह से किसानों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था।

 
जिला स्तरीय कमेटी की देखरेख में निकाली जाएगी लॉटरी :
विभागीय योजनाओं में प्राप्त आवेदनों के आधार पर किसानों के चयन के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी की निगरानी में किसानों का लॉटरी से चयन होगा । जिसमें कलेक्टर या प्रतिनिधि, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, उपनिदेशक एवं एनालिस्ट कम प्रोग्रामर, संयुक्त निदेशक सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग व उप निदेशक उद्यान विभाग को शामिल किया गया है।

विभाग के माध्यम से संचालित हैं करीब एक दर्जन योजनाएं, 50 से 95 : तक मिलता है अनुदान

उद्यान विभाग के माध्यम से जिलेभर में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, शेडनेट, प्लास्टिक मल्च, लॉ-टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। शेष राशि किसानों को स्वयं अपने स्तर पर ही वहन करनी होती है।
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