नहीं मिलेगी महंगे होते कर्ज से राहत, RBI के लिए महंगाई सबसे बड़ी टेंशन

नहीं मिलेगी महंगे होते कर्ज से राहत, RBI के लिए महंगाई सबसे बड़ी टेंशन
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रिजर्व बैंक गवर्नर के मुताबिक महंगाई देशों की ग्रोथ के लिए बड़ा जोखिम है और ऐसे कदम उठाते रहने की आवश्यकता है जो कीमतों को नियंत्रित करें और ऊपरी स्तरों से नीचे लाएं

अगर आप सोच रहे हैं कि कर्ज दरों में काफी बढ़त हो चुकी है और आगे इसमें राहत मिलेगी तो शायद आप गलत हैं क्योंकि  रिजर्व बैंक गवर्नर के मन में कुछ और ही गणित चल रही है. आईएमएफ के एक कार्यक्रम में बोलते हुए रिजर्व बैंक के गर्वनर ने साफ कर दिया है कि उनकी नजर में फिलहाल सबसे बड़ी प्राथमिकता महंगाई पर लगाम लगाना है.उन्होने कहा कि दक्षिण एशिया के लिए बढ़ती कीमतें एक बड़ा जोखिम साबित हो सकती हैं. वहीं अनियंत्रित डॉलर से मुकाबले करने के लिए सरकार की योजना के बारे में बताते हुए गवर्नर ने कहा कि रुपये में सीमा-पार व्यापार के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक की दक्षिण एशियाई देशों से बात चल रही है.

 महंगाई दर पर नियंत्रण सबसे अहम

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारत सहित पूरे दक्षिण एशियाई देशों के लिए महंगाई पर लगाम लगाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. उन्होने इसकी वजह गिनाते हुए कहा कि अगर इस पूरे क्षेत्र में महंगाई दर बढ़ती है तो इससे पूरे क्षेत्र की ग्रोथ के लिए जोखिम भी काफी बढ़ जाएंगे. उन्होने कहा कि सप्लाई चेन में सुधार के साथ कमोडिटी कीमतों में नरमी की वजह से महंगाई दर में भले ही कमी देखने को मिल रही है, लेकिन महंगाई दर अगर संतोषजनक सीमा में नहीं आती और नरमी के बाद भी कीमतें ऊपरी स्तरों पर ही रहती है तो पूरे क्षेत्र की ग्रोथ के लिए जोखिम काफी बढ़ जाएंगे. इसलिए मौजूदा परिदृश्य में एशियाई देशों के लिए में कीमतों को स्थिर रखना और नियंत्रण में लाना फिलहाल मुख्य प्राथमिकता है.और इसके लिए क्रेडिट पॉलिसी के भरोसेमंद कदम उठाने की जरूरत है.

क्या होगा इसका असर

अगर रिजर्व बैंक के लिए महंगाई पर नियंत्रण प्राथमिकता है तो इसका सीधा मतलब है कि केंद्रीय बैंक पॉलिसी में नरमी के पक्ष में नहीं है. रिजर्व बैंक महंगाई में नियंत्रण के लिए सिस्टम से नकदी बाहर करने के उपाय करता है. जिससे अतिरिक्त मांग खत्म हो और डिमांड और सप्लाई के समीकरण बैलेंस होने से कीमतें वाजिब स्तर की ओर नीचे आएं. इसके लिए केंद्रीय बैंक मुख्य दरों को महंगा करता है. पिछले साल रिजर्व बैंक ने 5 चरणों में प्रमुख दरों में करीब 2 प्रतिशत की बढ़त की है. संभावना है कि अगले महीने होने वाली पॉलिसी समीक्षा में दरें और महंगी हो जाएं.

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