लोकसभा चुनाव में ये मुद्दे रहेंगे हावी? इन चेहरों के दम पर होगा प्रचार
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस-भाजपा दोनों ने अपनी सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी। इन सबके बीच दोनों राजनीतिक दलों ने अपनी जीत की आधारशिला रखने के लिए अपने-अपने स्तर पर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। नई रणनीति के तहत कांग्रेस लोकसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को भी हवा देने का काम कर रही है। वहीं भाजपा केंद्र व राज्य सरकार के कामों को लेकर जनता के बीच जा रही है।
राम मंदिर: इस चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा छाया रहेगा। एक तरफ भाजपा भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का श्रेय ले रही है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद लगातार भाजपा के नेता से लेकर मंत्री तक लगातार अयोध्या के दौरे कर रहे हैं। भाजपा के नेता अलग-अलग इलाकों से श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए ले जा रहे हैं। इस मुद्दे का भाजपा को लाभ नहीं मिले इसकी पूरी कोशिश विपक्ष की होगी। यही वजह है कभी कोई नेता मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाता है तो कभी कोई नेता कहता है कि अब अयोध्या जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घटकर कुछ हजार में रह गई है।
विकास: सत्ताधारी भाजपा पिछले दस साल में हुए विकास के मुद्दे को भी चुनाव के दौरान जमकर उठाएगी। बीते दस साल में बिजली, सड़क, पानी से लेकर तकनीक तक के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों को चुनाव के दौरान जमकर प्रचारित करेगी। वहीं, विपक्ष विकास के दावों को खोखला बताने के लिए महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाएगा।
परिवारवाद: चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले ही राजनीतिक दलों के बीच परिवारवाद के मुद्दे पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। एक तरफ भाजपा विपक्ष को परिवारवादी पार्टियों का गठबंधन बता रही है। दूसरी ओर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी के परिवार पर सवाल उठा दिया। हालांकि, भाजपा ने इसे भी अपने पक्ष में करने के लिए ‘मोदी का परिवार’ नाम से सोशल मीडिया कैंपेन तक शुरू कर दिया।
भ्रष्टाचार: भाजपा विपक्ष को इस मुद्दे पर पूरे चुनाव के दौरान घेरती नजर आएगी। चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं के घरों पर छापे में मिली नोटो की गड्डियों का जिक्र खुद प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में करते रहे हैं। वहीं, विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि छापे सिर्फ विपक्ष के नेताओं पर पड़ते हैं। जो भ्रष्टाचारी भाजपा में शामिल हो जाता है उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। चुनाव के दौरान इस तरह के नेताओं के नाम विपक्ष की ओर से भी लगातार लिए जाएंगे।
बेरोजगारी: बेरोजगारी का मुद्दा भी विपक्ष चुनाव के दौरान जमकर उठा सकता है। भर्ती परिक्षाओं में होने वाले पेपर लीक का मुद्दा भी चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा उठाया जाएगा। वहीं, सत्ता पक्ष पेपर लीक के बाद सरकारों द्वारा की गई कार्रवाई को गिनाएगा।
जातिगत जनगणना: राहुल गांधी से लेकर तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव तक विपक्ष के ज्यादातर नेता जातिगत जनगणना के मुद्दे को उठाते रहे हैं। चुनाव के दौरान भी विपक्ष इस मुद्दे पर सत्ताधारी भाजपा को घेरने की कोशिश करेगा। वहीं, भाजपा इस मुद्दे पर लगातार कहती रही है कि देश में केवल चार जातियां होती हैं। ये जातियां गरीब, किसान, महिला और युवा हैं। चुनाव के दौरान भी कुछ इसी तरह के दावे प्रतिदावे किए जाएंगे।
चुनाव प्रचार के चेहरे
नरेंद्र मोदी: 2014 से चुनाव कहीं भी हों भाजपा के लिए चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होते हैं। इस चुनाव में भी भाजपा के लिए प्रचार का सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे। चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही प्रधानमंत्री ताबड़तोड़ करोड़ों की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई रैलियों को भी संबोधित किया।
राहुल गांधी: 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उस चुनाव में भी राहुल ने पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। इस वक्त मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके बाद भी राहुल ही पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। विपक्ष की ओर से सबसे बड़े चेहरे भी राहुल ही हैं। इस चुनाव में भी कांग्रेस के चुनाव प्रचार के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ही होंगे।
ममता: तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में पार्टी के चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा चेहरा होंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 22 सीटें मिलीं थीं। 42 सीटों वाला पश्चिम बंगाल चुनाव तारीखों से एलान से पहले ही सियासी संग्राम का केंद्र बना हुआ है।
अखिलेश यादव: लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा है। राज्य में 80 लोकसभा सीटें हैं। यहां की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार का चेहरा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव होंगे।
तेजस्वी यादव: बिहार में विपक्षी महागठबंधन के प्रचार का चेहरा राजद नेता और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव होंगे।
2019 में 10 मार्च को हुआ था चुनावों का एलान
पिछली बार लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान 10 मार्च 2019 को हुआ था। तब देश में सात चरण में मतदान हुआ था। 11 अप्रैल को पहले दौर का मतदान हुआ जबकि, 19 मई को सातवें यानी आखिरी दौर की वोटिंग हुई थी। वोटों की गिनती 23 मई को हुई थी।