महिलाओं ने मनाया वत्स द्वादशी का पर्व
चित्तौड़गढ़। शहर सहित जिले में सोमवार को वत्स द्वादशी का पर्व मनाया गया। बछ बारस के पर्व पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से गाय-बछड़े की पूजा कर व्रत रखा। गाय-बछड़े का पूजन कर संतान प्राप्ति और पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने कामना की। महिलाओं ने पुत्रों की पसंद के व्यंजन बनाकर उन्हें उपहार भी भेंट किए। महिलाओं द्वारा सवेरे अपने पुत्रों को टीका लगाकर उनको श्रीफल दिया। महिलाओं द्वारा सूर्यास्त से पहले ही भोजन किया गया। बछ बारस पर अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचकर महिलाओं ने पूजन किया। इस दौरान उपस्थित महिलाओं ने गाय और बछड़े का पूजन किया। बछ बारस मनाने के पीछे मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण पहली बार गाय चराने घर से निकले थे। यह पर्व माता यशोदा और श्रीकृष्ण के बीच स्नेह का जीवंत प्रतीक है। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण जंगल में गाय चराने गए थे। पुत्र चिंता और उसे हर कष्ट से बचाने के लिए माता यशोदा ने कई जतन किए। उनका लाड़ला इतनी देर घर से बाहर रहने वाला था। इसलिए माता पुत्र के पसंद के सभी व्यंजन बनाए। श्रीकृष्ण के प्रथम वन गमन पर गोकुल गांव की हर माता ने कृष्ण के प्रति दुलार प्रकट करने के लिए उनके पसंद के व्यंजन बनाए। श्रीकृष्ण के साथ वन जाने वाली गायों और बछड़ों के लिए भी मूंग, मोठ और बाजरा अंकुरित किया गया। जब वे वापस लौटे तो गाय-बछड़ों का पूजन किया। इस तरह बछ बारस का व्रत अस्तित्व में आया।