लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश:नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक; मेघवाल बोले- पास होने के बाद लोकसभा में 181 महिला सांसद होंगी

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश:नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक; मेघवाल बोले- पास होने के बाद लोकसभा में 181 महिला सांसद होंगी
X

नई दिल्‍ली। गणेश चतुर्थी के दिन 19 सितंबर को नए संसद भवन में सरकार ने दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर महिला आरक्षण बिल पेश किया। कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि हम ऐतिहासिक बिल लाने जा रहे हैं। अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी।

इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी समेत सभी सांसद पुराने भवन से पैदल पहुंचे। दोपहर 1.15 बजे सदन के लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कार्यवाही शुरू की। पीएम मोदी ने कहा कि हम आज महिला आरक्षण बिल लाने जा रहे हैं। इसका नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम होगा। मोदी अपनी 25 मिनट की स्पीच में 10 मिनट महिलाओं के मुद्दे पर बोले।

महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने श्रेय लेने की कोशिश की। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हंगामा हुआ। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिल लाया गया था। यह बिल अभी मौजूद है। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम नया बिल लाए हैं। आप जानकारी दुरुस्त कर लीजिए।

इसके बाद विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी को लेकर हंगामा किया। इनका कहना था कि उन्हें बिल की कॉपी नहीं मिली है। सरकार का कहना था कि बिल को अपलोड कर दिया गया है।

मोदी ने कहा- भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए; पीएम की स्पीच की 5 बड़ी बातें

  • कौन कहां बैठेगा, व्यवहार तय करेगा: मोदी ने कहा, अभी चुनाव तो दूर हैं और जितना समय हमारे पास बचा है। मैं मानता हूं कि यहां जो जैसा व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठेगा, कौन वहां बैठेगा। जो वहां बैठे रहना चाहता है, उसका व्यवहार क्या होगा, इसका फर्क आने वाले समय में देश देखेगा।'
  • हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है: 'हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है। यद् भावं तद भवति...! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे। भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है।
  • आज की तारीख इतिहास में अमरत्व प्राप्त करेगी: कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है। आज 19 सितंबर की यह तारीख इसीलिए इतिहास में अमृत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है।
  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम: देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।'
  • बिल पर बहुत चर्चाएं हुई हैं, वाद-विवाद हुए: कई सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटलजी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।'
  • तीन दशक से पेंडिंग है महिला आरक्षण बिल
    संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।

    तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है।

  • कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है। आज 19 सितंबर की यह तारीख इसीलिए इतिहास में अमृत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है। देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।'

     

    'पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है'

    'हर देश की विकास यात्रा में ऐसे मील के पत्थर आते हैं, जब वह गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सभी ने नया इतिहास रचा है। ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्त होते हैं। नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह पल और आज का यह दिवस संवत्सरी और गणेश चतुर्थी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है। हम सभी के लिए यह पल गर्व का है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटलजी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।'

     

    'दुनिया महिलाओं की ताकत देख रही है'

    'स्पेस हो या स्पोर्ट्स हो, दुनिया महिलाओं की ताकत देख रही है। जी20 में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की चर्चा हुई। दुनिया इसका स्वागत कर रही है, स्वीकार कर रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं की विकास की बात पर्याप्त नहीं है। हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ावों को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को पाना है तो महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बल दें। जी20 में भारत की बात को विश्व ने स्वीकार किया है। महिला सशक्तीकरण की हमारी हर योजना ने महिलाओं को नेतृत्व देने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। आर्थिक समावेश को ध्यान में रखते हुए जनधन योजना शुरू की। 50 करोड़ में अधिकतर महिलाएं खाताधारक बनीं। मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाता है, उसका सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं ने उठाया। प्रधानमंत्री आवास योजना में पक्के घरों की ज्यादातर रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हुई।' 

     

    'संसद का व्यवहार तय करेगा कौन सत्ता में बैठेगा, कौन विपक्ष में'

    'अभी चुनाव तो दूर हैं और जितना समय हमारे पास बचा है संसद के इस मौजूदा कार्यकाल में। मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां (सत्ता पक्ष) बैठेगा, कौन वहां (विपक्ष) बैठेगा। जो वहां बैठे रहना चाहता है, उसका व्यवहार क्या होगा, इसका फर्क आने वाले समय में देश देखेगा।'

     

    'हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है'

    'हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है। यद् भावं तद भवति...! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे। भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी पवित्र संस्था का निर्माण दलहित के लिए नहीं, देशहित के लिए किया है। नए भवन में हम सभी अपनी वाणी, विचार, आचार से संविधान की आत्मा के अनुसार काम करें। हमारा पूरा प्रयास रहेगा और मैं चाहूंगा कि सदन के नेता के नाते हम सभी सांसद आपकी आशा-अपेक्षा पर खरे उतरें और अनुशासन का पालन करें।'

     

    पीएम मोदी ने श्रमिकों को दिया धन्यवाद

    'जिस डिजिटल बुक में सभी श्रमिकों का रिकॉर्ड रखा गया है, ताकि सभी को पता रहे कि भारत के किस कोने से किसने इस सदन के निर्माण में पसीना बहाया है। मैं इस मौके पर 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से, लोकतंत्र की महान परंपरा की तरफ से श्रमिकों का धन्यवाद करता हूं।'

     

    पंडित नेहरू को किया याद

    'यह संसद नए रंग रूप के साथ प्रस्तुत है। सब कुछ नया है, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है। वह नया नहीं है, पुराना है। वह आजादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है, वह आज हमारे बीच उपस्थित है। यह हमारे समृद्ध इतिहास को जोड़ता है। जब हम नए संसद में प्रवेश कर रहे हैं, तब यहां आजादी की पहली किरण का साक्षी रहा पवित्र सेंगोल यहां मौजूद है। यह वही सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था। यह पंडित नेहरू के हाथों में पूजा विधि करके आजादी के प्रारंभ पर इसे सौंपा गया था। तमिलनाडु की महान परंपरा का यह प्रतीक तो है ही, यह देश की एकता का भी प्रतीक है। जो पवित्र सेंगोल पंडित नेहरू के हाथों में शोभा देता था, आज हम सभी की प्रेरणा का कारण बन रहा है, इससे बड़ा गर्व क्या होगा।'

     

    पीएम मोदी ने देशवासियों से की क्षमा याचना

    'गणेश चतुर्थी के साथ संवत्सरी का भी अवसर है। इसे क्षमावाणी का भी पर्व कहते हैं, जिसमें मिच्छामी दुक्कड़म भी कहते हैं। मन, कर्म, वचन से जाने-अनजाने में दुख पहुंचाया है तो उसकी क्षमायाचना का अवसर है। मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ और पूरे हृदय से सभी संसद सदस्यों और पूरे देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म कहता हूं।'

     

    पीएम मोदी का संबोधन

    'सभी सांसदों और देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में आपने मुझे बात रखने का अवसर दिया, इसका आभारी हूं। इस नए संसद भवन में आप सभी माननीय सांसदों का हृदय से स्वागत करता हूं। यह अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है। आजादी के अमृतकाल का यह उषाकाल है। भारत अनेक सिद्धियों के साथ नए संकल्प लेकर नए भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है। विज्ञान जगत में चंद्रयान-3 की गगनचुंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर देती है। भारत की अध्यक्षता में जी20 का असाधारण विश्व में प्रभाव डाल चुका है। यह अवसर भारत के लिए बना है। इसी आलोक में आज आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र के प्रतीक नई संसद का शुभारंभ हुआ है। सुखद संयोग है कि यह गणेश चतुर्थी का शुभ दिन है। गणेशजी शुभता और सिद्धि के देवता हैं। गणेशजी विवेक और ज्ञान के भी देवता हैं। इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर से नए विश्वास के साथ यात्रा आरंभ करने का है। आज लोकमान्य तिलक की याद आना स्वाभाविक है। आजादी के आंदोलन में गणेशोत्सव को एक सार्वजनिक गणेशोत्सव के रूप में प्रस्थापित कर पूरे देश में सुराज्य की अलख जगाने का माध्यम बनाया था। लोकमान्य तिलक ने स्वराज्य की बात की थी, आज हम समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सभी देशवासियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।'

Next Story