कर्म ही मानवता का आभूषण, वेदों से आया वर्क इज वर्सिप का सिद्धान्त- दीपचन्द्र शर्मा
निंबाहेड़ाÐ वस्तुत: मानव की मानवता ही उसका आभूषण है। वेद का उपदेश संकीर्णता और संकुचितता से परे है। वेद का उपदेश सभी स्थानों, सभी कालों और सभी मनुष्यों पर समान रुप से लागू होता है। जब संसार में यह वेदोपदेश चरितार्थ था तब संसार में मानव वस्तुत: मानव था। मानवता का भेद करने वाले कारण उपस्थित नहीं थे। ये बातें सांवलिया भादसोड़ा के उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित वेद ज्ञान सप्ताह में मुख्य वक्ता के रूप में जयपुर से आए गीता मनीषी व लोकतंत्र सेनानी दीपाचंद्र शर्मा ने बुधवार को कहा। उन्होंने संबोधित करते हुए कहा छात्रों को अपना कार्य स्वयं करते हुए विद्या अध्ययन करना चाहिए। यही सत्यनारायण है। सत्य के मार्ग पर चलते हुए जीवन शैली बनानी चाहिए, क्योकि वर्क इज वर्षिप का सिद्धांत वेदों से आया है। अध्यक्षीय उद्बोधन में वैदिक विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कैलाशचन्द्र मूंदड़ा ने कहा कि वेद मनुष्य के पुस्तकालय की सबसे प्राचीन पुस्तकें हैं। सभी धर्मों में निहित सत्य वेदों से प्राप्त हुए हैं और अंतत: वेदों में ही पाए जाते हैं। वेद धर्म के मूल स्रोत हैं। वेद वह अंतिम स्रोत हैं, जहां से सभी धार्मिक ज्ञान का पता लगाया जा सकता है। धर्म दैवीय उत्पत्ति का है, इसे सबसे पहले ईश्वर ने मनुष्य पर प्रकट किया था। यह वेदों में सन्निहित है। कार्यक्रम आयोजक और विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने संचालन किया। संयोजक ने बताया कि महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान भारत सरकार उज्जैन और श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वेद ज्ञान सप्ताह का अयोजन किया गया है। कार्यक्रम में राजकीय वरिष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय भादसोड़ा के प्रधानाचार्य शंकरलाल जाट ने कहा कि इस प्रकार का यह अद्भुत ज्ञानवर्धक कार्यक्रम है और प्रत्येक शिक्षण संस्थानों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर संस्कार शिविर लगाए जाने चाहिए। विशिष्ट अतिथि रमेश खटीक, सम्मानित अतिथि माणक जारोली सहित विद्यालय परिवार से रमेश सुथार, चंदा दशोरा, पिंकी कुंवर राणावत, राजकुमार सिंघवी, राम अवतार जांगिड़, गिरिजाशंकर सहित अन्य गणमान्य लोगों के साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।