अलवर के सरकारी स्कूलों का मॉडल देखकर रह जाएंगे दंग ,विदेशों में बना चर्चा का विषय

अलवर के सरकारी स्कूलों का मॉडल देखकर रह जाएंगे दंग ,विदेशों में बना चर्चा का विषय
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 अलवर जिले में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए नए प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चे स्कूल में खुशी-खुशी आए, इसके लिए स्कूलों को आकर्षक बनाया जा रहा है। दीवारों पर लगी किताबों,  पेंसिल की तस्वीरों से लेकर स्कूल में सेल्फी पॉइंट और बोतल के आकार की पानी टंकी छात्र-छात्राओं को बेहद लुभा रही है। अलवर के सरकारी स्कूल का मॉडल इतना सफल हो रहा है कि बच्चों में पढ़ने और सीखने की ललक पहले से बढ़ गई है। 

जहाज के शेप में बना एक सरकारी स्कूल

 

अलवर के स्कूल बने चर्चा का विषय
सरकारी स्कूलों का स्वरूप बदलने और उसका कायाकल्प करने का नतीजा है कि पिछले दो साल में स्कूलों में एडमिशन दोगुने हो गए हैं। वहीं बच्चों में सीखने की ललक बढ़ी है। इसके साथ ही वे पहले से अधिक अनुशासन में रहने लगे हैं। अलवर का सिर्फ एक सरकारी स्कूल बदला नजर नहीं आ रहा बल्कि अलवर के अधिकांश सरकारी स्कूल के मॉडल चर्चा का विषय बन गए हैं। दानदाताओं के योगदान और राज्य के अलावा विभिन्न संगठनों की मदद से, राजस्थान के कई सरकारी स्कूलों ने अपनी अनूठी डिजाइन से लोगों को आकर्षित किया है। 

 

 

बस के मॉडल पर बना क्लास रूम

 

पानी की टंकी बोतल की आकार की
सहोदी गांव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिसिंपल किरण ने बताया कि जब मैंने पदभार संभाला था, तब स्कूल की बिल्डिंग अच्छी स्थिति में नहीं थी। मेरा मानना है कि स्कूल की इमारत आकर्षक होनी चाहिए। इसलिए दीवारों को आकर्षक रूप से चित्रित किया गया और पानी की टंकी को बोतल के आकार का बनवाया गया है। सीढ़ियों को भी इस तरह से डिजाइन किया गया है, जो बच्चों को सीखने में मदद करता है।

ट्रेन के मॉडल पर बना स्कूल

 

स्कूल में सेल्फी प्वाइंट
शिक्षिका किरण कहती हैं कि स्कूल में एक सेल्फी प्वाइंट भी है। सेल्फी प्वाइंट छात्रों को आकर्षित करता है और शिक्षा के पंख लगाकर उन्हें ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रेरित करता है। सहगाह फाउंडेशन की ओर से स्कूल के जीर्णोद्धार पर 40 लाख रुपये खर्च किए गए और ग्रामीणों ने भी इसमें हाथ बंटाया। नामांकन में लगभग दोगुना इजाफा हुआ। हमारे इस कदम से सीखने, अनुशासन और स्वच्छता का माहौल बनाने सहायता मिली है।

 

 

बच्चों में सीखने की बढ़ी ललक

 

ट्रेन की डिब्बे जैसी क्लास
एक स्कूल में, कक्षाएं एक ट्रेन के डिब्बे की तरह दिखती हैं, जिसकी दीवारें नीले रंग से रंगी हुई हैं। अलवर में तैनात शिक्षा विभाग के इंजीनियर राजेश लावनिया ने बताया कि जहां छात्रों के नामांकन में उल्लेखनीय उछाल आया है और इसका असर पढ़ाई पर भी पड़ा है। वहीं अनुशासन और स्वच्छता के मामले में भी सकारात्मक बदलाव आया है।


अलवर के सरकारी स्कूल के सुंदर डिजाइन सफल रहा है। ऐसे में अलवर सहित अब बल्कि धौलपुर, चित्तौड़गढ़ और पाली सहित अन्य जिलों में भी इस तरह के रचनात्मक विचारों का पालन किया जा रहा है। कई स्कूलों में, कक्षाओं को ट्रेनों, बसों और जहाजों की तरह रंग दिया गया है। दीवारों और सीढ़ियों पर प्रेरणादायक उद्धरण और त्वरित सीखने के तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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