अब भारत में कार खरीदना हो सकता है और भी महंगा, जानें क्या है वजह

By :  vijay
Update: 2024-06-14 14:15 GMT

भारत में वाहन निर्माताओं को अगले तीन वर्षों में अपने कार्बन उत्सर्जन को एक तिहाई कम करना होगा। नहीं तो उन्हें ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) द्वारा निर्धारित कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता मानदंड (कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी नॉर्म्स) (CAFE) (कैफे) के तीसरे पुनरावृत्ति के तहत सख्त दंड का सामना करना पड़ेगा। भारत की ऊर्जा दक्षता और संरक्षण एजेंसी के इस नए कदम से कारें महंगी होने की संभावना है। जो अप्रैल 2020 में भारत स्टेज VI उत्सर्जन मानदंडों पर जाने के बाद से 30 प्रतिशत की मूल्य बढ़ोतरी में शामिल हो जाएगा।


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक उद्योग कार्यकारी ने कहा, "चुनौती न सिर्फ ऐसे वाहन को विकसित करने की है जो सख्त CAFE 3 और CAFE 4 मानदंडों को पूरा करता है। बल्कि इसे इस तरह से उसकी कीमत भी तय करनी होगी जिससे उनके लिए खरीदार हों। आप कम उत्सर्जन वाला वाहन बना सकते हैं, लेकिन अगर इसकी कीमत सस्ती नहीं है, तो कोई लेने वाला नहीं होगा और कोई फायदा नहीं होगा। यह कंपनी के CAFE स्कोर को प्रभावित करेगा।"

उद्योग के हितधारों को जुलाई के पहले सप्ताह तक अपनी टिप्पणी पेश करने के लिए कहा गया है। बीईई इन सबका अध्ययन करेगा और उसके बाद अंतिम दिशानिर्देशों को सूचित करेगा। CAFE 3 मानदंड अप्रैल 2027 से लागू होंगे।



बीईई ने डब्ल्यूएलटीपी (वर्ल्ड हार्मोनाइज्ड लाइट व्हीकल्स टेस्टिंग) (विश्व सामंजस्यित लाइट वाहन परीक्षण प्रक्रिया) पर क्रमशः कैफे 3 और कैफे 4 में 91.7 ग्राम सीओ2/किमी और 70 ग्राम सीओ2/किमी का प्रस्ताव दिया है।

हालांकि, वाहन निर्माताओं को एक छोटी राहत मिल सकती है। एजेंसी ने कैफे 4 मानदंडों को अपनाने के लिए शुरू में प्रस्तावित तीन के बजाय पांच साल तक विस्तार करने पर सहमति जताई है। जिसकी परिकल्पना 2032 तक वाहन कार्बन उत्सर्जन को और 24 प्रतिशत कम करने की है।

उद्योग के हितधारों को आशंका थी कि कैफे 4 मानदंडों पर संक्रमण के लिए कम समय सीमा, उत्पाद योजना, विकास और निवेश चक्रों पर प्रतिकूल असर डालेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक दूसरे वरिष्ठ उद्योग कार्यकारी, ने अपना नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ बताया, "जबकि सरकार ने कैफे 4 में संक्रमण के लिए पांच साल तक विस्तार करने पर सहमति जताई है, वहीं निर्धारित लक्ष्य कठिन हैं। न सिर्फ वाहन निर्माताओं को अगले तीन वर्षों में पूरे बेड़े के लिए कार्बन उत्सर्जन और ईंधन की खपत को कम करना होगा। बल्कि इन मापदंडों को डब्ल्यूएलटीपी के अनुसार भी मापा जाएगा।"

मार्च 2027 के बाद, एमआईडीसी (मॉडिफाइड इंडियन ड्राइव साइकिल) (संशोधित भारतीय ड्राइव चक्र) की तुलना में डब्ल्यूएलटीपी के तहत निर्धारित ईंधन खपत रीडिंग ज्यादा होती हैं।

कैफे मानदंड कंपनी के पूरे वाहन उत्पादन पर लागू होते हैं। और एक वित्तीय वर्ष में एक कार निर्माता द्वारा बेचे गए वाहनों की कुल संख्या से कार्बन उत्सर्जन को सीमित करते हैं। निर्माताओं को निर्धारित सीमाओं का पालन न करने पर सख्त दंड का भुगतान करना पड़ता है। जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ज्यादा ईंधन-कुशल कारें बनाने के लिए मजबूर करेगा।

प्रस्ताव के अनुसार, अगर किसी कार निर्माता द्वारा बेची गई कारों की औसत ईंधन दक्षता प्रति 100 किमी पर 0.2 लीटर से ज्यादा हो जाती है, तो जुर्माना प्रति वाहन 25,000 रुपये है। और अगर यह प्रति 100 किमी पर 0.2 लीटर से ज्यादा है, तो जुर्माना प्रति वाहन 50,000 रुपये है।

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