नालों की सफाई के नाम पर हो रहा है खजाना साफ, भ्रष्टाचार की भेंट चढ रही है आम आदमियों की टेक्स की कमाई

Update: 2025-05-04 06:30 GMT
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भीलवाड़ा (राजकुमार माली) । मानसून से पहले भीलवाड़ा नगर निगम हर साल की तरह इस बार भी छोटे बड़े नालों की सफाई पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। हर साल लोगों से वसूले गए टेक्स से नालों की सफाई कराई जाती है लेकिन इन नालों की हालात देखें तो काफी दयनीय है। नियमित सफाई नहीं होने से इनमें मलबा अटा पड़ा रहता है और तो और इनकी सुरक्षा दीवार तक पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है।

नगर निगम ने भीलवाड़ा में छोटे और बड़े नालों की सफाई के लिए इस साल फिर टेण्डर निकाले है जो करीब एक करोड़ रुपए के लगभग के है। अगले पखवाड़े तक टेण्डर खुलेंगे और मानसून से पहले नालों की सफाई हर वर्ष की तरह हो जाएगी। इन नालों की सफाई को लेकर लोग हर बार आरोप लगाते रहे है कि सफाई नाम मात्र की होती है और सरकारी खजाना भ्रष्टाचार की भेंट चढ जाता है।

रामधाम से शास्त्रीनगर तक बड़े नाले की सफाई किस तरह होती है यह किसी से छिपी हुई नहीं है। सबसे ज्यादा हालत तो खराब तेजाजी के चौक से कुवाड़ा की ओर जा रहे नाले की है। इस नाले की सुरक्षा दीवार पंचमुखी क्षेत्र में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चली है। नाले में इतना मलबा है कि वह शायद ही कभी साफ हुआ होगा। इसके चलते आस पास के क्षेत्र में रहने वाले लोग परेशान रहते है। नाले में जलकुंभी भी फैली हुई है।

इन नालों में प्लास्टिक की थैलियां भी रूकावट का बड़ा कारण बनी हुई है। मानसून से पहले ही नगर निगम जनता की गाढी कमाई को सफाई के नाम पर खर्च करता है लेकिन नियमित सफाई नहीं की जाती है। लोगों का कहना है कि जितनी राशि खर्च की जा रही है अगर नियमित सफाई कराई जाये तो इससे कुछ ज्यादा खर्च हो सकता है लेकिन नाले साफ रहेंगे और आस पास के क्षेत्र में बीमारियां भी नहीं फैलेगी।

शहर में छोटे नालों की सफाई तो खानापूर्ति बनकर रह जाती है। कुछ ही नाले साफ हो पाते है। इसी का परिणाम है कि हर साल बरसात के मौसम में सूचना केन्द्र के पिछवाड़े, रोडवेज बस स्टैण्ड, नेहरू रोड की सड़कें तलैया बन जाती है। कॉलेज के पास तो नाले की सफाई नहीं हो पाने के कारण कुछ साल पहले एक बालक की भी मौत हो चुकी है। बरसात में यह भी पता नहीं रहता है कि कहां नाला है और कहां सड़क है। पिछले वर्ष रामधाम के पास मुख्य सड़क पर पानी का इतना तेज बहाव था कि कुछ दुपहिया वाहन तो बह भी गये।

नियमित रूप से कॉलोनियों में नालियों और सड़कों की सफाई के नाम पर भी खानापूर्ति ही होती है। प्रभावशाली लोगों के या फिर पार्षदों के चेहते क्षेत्र में ही साफ सफाई होती है। कई मुख्य सड़कों पर कचरे के ढेर लगे रहते है और नालियां कचरों से ऊबकती है। उदाहरण के लिए पूर्व सभापति रह चुके विनोद अग्रवाल के आवास यानि चित्तौड वालों की हवेली के निकट नालियों की स्थिति ऐसी ही है। वह आये दिन ऊबक जाती है और गंदा पानी आजाद चौक की ओर बहने लगता है। भोपाल क्लब के आस पास की स्थिति भी कई बार ऐसी ही होती है। बाहरी कॉलोनियों की हालत इससे भी बदत्तर है।

इनका कहना है :-

पहली बार भीलवाड़ा में नालों की सफाई का साल भर का टेण्डर किया जा रहा है और हर महीने की 10 तारीख को बिल के साथ नालों की सफाई की फोटो भी लगाना होगा। नालों की सफाई जहां सीमेंटेड है वह नजर आनी चाहिए। इस तरह की व्यवस्था पहली बार की जा रही है ताकि लोगों की शिकायत दूर हो सके।

- राकेश पाठक, महापौर, नगर निगम भीलवाड़ा

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