नल से जल के कनेक्शन में राजस्थान ओर बंगाल जैसे राज्य पीछे

Update: 2024-10-16 01:39 GMT

ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति उपलब्ध करने में राजस्थान व बंगाल काफी पिछड़े हैं , यहा  अभी आधा ही कम हुआ हैं जबकि जल जीवन मिशन के कारण गांवों में टैप वाटर कवरेज शहरों से भी आगे निकल गया है। जल शक्ति मंत्रालय में पेयजल और स्वच्छता विभाग की सचिव विनी महाजन के अनुसार यह उल्लेखनीय उपलब्धि जेजेएम के बेहतर क्रियान्वयन के कारण हासिल हुई है।

गत दिवस तक गांवों में नल से जल का कवरेज 78 प्रतिशत को पार कर गया है, जबकि शहरों में यह प्रतिशत 70 ही है। वह भी तब जब अमृत एक योजना पूरी हो चुकी है और उसके दूसरे चरण में काम आरंभ हुआ है। 15 अगस्त 2019 को शुरू हुए जेजेएम के तहत अब तक 11.97 करोड़ घरों को टैप वाटर कनेक्शन दिया जा चुका है। इसका मतलब यह है कि अब 15.21 करोड़ ग्रामीण घर नल से जल की सुविधा से लैस हैं।

जब यह मिशन आरंभ हुआ था तब 19 करोड़ में से केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की सुविधा थी। यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दशकों तक ग्रामीण आबादी के लिए नल से जल एक दूर की कौड़ी ही बना रहा।

विनी महाजन ने स्वीकार किया कि बंगाल और राजस्थान सरीखे राज्यों के कारण जल जीवन मिशन का लक्ष्य हासिल करने यानी सभी ग्रामीण घरों में टैप वाटर कनेक्शन उपलब्ध कराने में देरी हो रही है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह सौ प्रतिशत कवरेज वाले राज्यों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए इस साल के अंत तक लक्ष्य के काफी करीब पहुंच सकते हैं

बंगाल में केवल 52 और राजस्थान में 53 प्रतिशत घरों में टैप वाटर कनेक्शन किया जा सका है। 80 प्रतिशत से कम कवरेज वाले राज्यों में कर्नाटक, मणिपुर, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, केरल भी शामिल हैं।

बंगाल और राजस्थान जैसा हाल केरल और झारखंड का भी है। इन दोनों राज्यों में टैप वाटर कनेक्शन कवरेज 53-54 प्रतिशत ही है। इन राज्यों में औसतन प्रतिदिन एक हजार कनेक्शन ही दिए जा रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह संख्या पांच हजार से अधिक है।

महाजन ने यह भी संकेत दिया कि जेजेएम के क्रियान्वयन के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जा सकता है-खासकर कुछ राज्यों से आ रहीं निष्कि्रय टैप संबंधी शिकायतों को लेकर। महाजन ने कहा कि तेलंगाना और बिहार जेजेएम में शामिल नहीं हुए हैं, क्योंकि इन राज्यों ने अपने संसाधनों से मिलती-जुलती योजना संचालित की है।

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