रसधारा के नाट्य समारोह का समापन : रिश्ते सिर्फ शरीर के ही नही होते, मन और आत्मा के भी होते हैं

Update: 2024-10-20 18:00 GMT

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भीलवाड़ा हलचल

रसधारा अन्तर्राज्यीय नाट्य समारोह के तीसरे व अंतिम दिन रंग संस्कार थिएटर ग्रुप कोलकाता की और से रिश्तों के भंवर में नाटक का मंचन हुआ। जिसका लेखन प्रियम जानी व निर्देशन डॉ. देशराज मीणा ने किया। नाटक की कहानी ऐसी दो औरतों की कहानी है जो एक ही व्यक्ति से प्रेम करती है जिसका नाम गोविंद है।


एक औरत वैश्या है और दूसरी गोविंद की पत्नी। दोनो औरतों के बीच के पारस्परिक द्वंद और संवादों से यह बात जाहिर होती है की प्रेम में शारीरिक सुख के इतर भी बहुत कुछ है। एक दिन गोविंद की पत्नी वैश्या के घर पहुंच जाती है और उससे कहती है की उसके पति को कैंसर है वो कुछ दिन में ही मर जाएगा। उसकी यह बात सुन वैश्या सुन्न हो जाती है वहीं उसकी पत्नी ठहाके मार के हंसने लगती है और वह कहती है कि अगर उसका पति यहां रहा और यहीं मर गया तो उसकी बहुत बदनामी होगी। इसलिए वह जो चाहे ले ले, पर उसके पति को भूल जाए। तब वैश्या कहती है कि उसके पति गोविंद ने उसे वो इज्ज़त दी है, जो आज तक किसी ने नहीं दी थी। गोविंद ने उसे एक इंसान होने का ऐहसास करवाया है।



 


वह बिना बताए ही उसके मन की बात समझ लेता है। इसलिए वह उसे कभी नहीं भूल सकती। साथ ही वह कहती कर है कि रिश्ते सिर्फ शरीर के ही नही होते, मन और आत्मा के भी होते हैं। गोविंद उसके पास शरीर की भूख नहीं मिटाने आता। उसने तो उसके शरीर को कभी छुआ तक नहीं है। बस दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लगता है। तुम उसकी पत्नी होकर भी उसको वह सुख नहीं दे पा रही, जो उसको चाहिए। इसलिए गोविंद मेरे पास आता है। वह कहती है कि साथ रहने और साथ जीने में बहुत फर्क होता है। अगर कभी तुम उसके साथ बैठ कर बात करो तो तुम्हें पता चलेगा कि शरीर के अलावा भी पति पत्नी की और बहुत सारी जरूरत होती हैं। कोलकाता की जानी मानी अभिनेत्री मोनालिसा दास ने वेश्या के किरदार को जीवंत करते हुए अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को काफी प्रभावित किया। मनोभावों को लंबे समय तक बनाए रखना मोनालिसा के अभिनय की खासियत रही। इसके अलावा उन्होंने बॉडी मूमेंट का भी अच्छा प्रयोग किया। पत्नी की भूमिका में सुनीता मंडल भी बेहतरीन रही। वहीं नाटक में संगीत निखिल कुमार ने किया।दर्शको ने प्रस्तुति को सराहा। वहीं इस अवसर पर रतन लाल जी दरगड़

दिलीप जी सोमानी ,श्याम सुंदर जी जोशी, लक्ष्मण जी शर्मा

श्रीमती रमा पचीसिया द्वारा दीप प्रज्वलन कर नाट्य संध्या का शुभारंभ किया गया। वहीं समारोह में पधारे हुए पर्यवेक्षक डॉ. सुनील माथुर , डॉ. देशराज मीणा को स्मृति चिन्ह अर्पित किया गया। नाटक के बाद रंग संवाद का आयोजन हुआ जिसमें पर्यवेक्षक एवम रसधारा के संस्थापक गोपाल जी आचार्य द्वारा नाटक के संदर्भ में महत्वपूर्ण बिंदु साझा किए गए।

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