भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन व शिव परिवार प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा

By :  prem kumar
Update: 2025-01-31 15:01 GMT

 भीलवाड़ा बीएचएन। अखिल राजस्थान सुवालका संघ ट्रस्ट के तत्वावधान में आजादनगर स्थित सुवालका छात्रावास के परिसर में स्थित नवनिर्मित मंदिर में कलाल समाज के आराध्य भगवान सहस्त्रबाहू अर्जुन व शिव परिवार प्रतिमाओं का चार दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव आज सम्पन्न हुआ।

महोत्सव के अंतिम दिन आराध्य भगवान सहस्त्रबाहू व शिव परिवार की मूर्तियाें का आचार्य पंडित श्रवणलाल सहित पांच विद्वान पंडितों द्वारा दोपहर शुभ मुहूर्त में मंत्रोच्चारण के साथ मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति के सामने रखा शीशा अपने आप टूटते ही श्रद्धालुओं ने भगवान सहस्त्रबाहु के जयकारे लगाए।

इससे पूर्व विशेष अनुष्ठान हुआ, जिसमें जलाधिवास और अन्नाधिवास सहित विधिवत पूजन हुआ हवन की पूर्णाहुति के साथ महाआरती का आयोजन किया गया। जिसमें भीलवाड़ा सहित चित्तौड़गढ़ राजसमंद के सैकड़ो श्रद्धालुओं ने भाग लिया। छात्रावास में महाप्रसादी का वितरण किया गया। जिसमें सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। ट्रस्ट अध्यक्ष लादू लाल मुरलिया ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सैकड़ों समाजबंधु  उपस्थित थे।

 प्राण प्रतिष्ठा के समय शीशा टूटने की मान्यता !

ज्योतिषाचार्य की मानें तो शास्त्रों में इस प्रक्रिया को चक्षु उन्मीलन कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में शक्ति स्वरूपा प्रकाश पुंज प्रवेश करता है. यह तेजोमय शक्ति नेत्र खोलने के साथ ही बाहर निकलती है. इस शक्ति से मूर्ति के सामने रखा शीशा टूट जाता है. आईने का टूटना शुभ माना जाता है. शीशा रखने की प्रक्रिया प्राण प्रतिष्ठा का आखिरी चरण है।

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