भीलवाड़ा में बिना फिटनेस और परमिट के दौड़ रहीं बसें, यात्रियों की जान से हो रहा खिलवाड़

Update: 2025-11-30 17:20 GMT



भीलवाड़ा. विजय गढ़वाल प्रदेश में परिवहन विभाग की लापरवाही और आरटीओ-ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता का खामियाजा अब आम जनता भुगत रही है। शहर और बाहरी मार्गों पर बड़ी संख्या में ऐसी बसें दौड़ रही हैं जिनके पास न तो फिटनेस सर्टिफिकेट है और न ही मान्य परमिट। यह न केवल यातायात नियमों की खुली धज्जियां उड़ा रहा है, बल्कि सड़कों पर सफर कर रहे यात्रियों की जान को भी गंभीर खतरे में डाल रहा है।




 

सूत्रों के अनुसार, परिवहन विभाग ने किसी भी बस की फिटनेस जांच या रूट वेरिफिकेशन के लिए कोई अभियान नहीं चलाया। विभाग की इस निष्क्रियता का फायदा बस ऑपरेटर उठा रहे हैं। कई पुराने मॉडल की बसें, जिनकी फिटनेस अवधि समाप्त हो चुकी है, बिना किसी जांच या अनुमति के सड़कों पर दौड़ रही हैं। कुछ बसें तो ओवरलोडिंग करते हुए निर्धारित मार्गों से हटकर भी चल रही हैं।

यात्रियों का कहना है कि इन बसों में न तो सुरक्षा उपकरण हैं, न प्राथमिक उपचार की सुविधा और न ही चालक-परिचालक के पास वैध लाइसेंस की जांच की जाती है। कई बसें ऐसी हैं जिनमें ब्रेक सिस्टम और इंजन की दशा खराब है, लेकिन फिर भी उन्हें चलाया जा रहा है। इससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।

परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण बस ऑपरेटर बेखौफ हैं। ट्रैफिक पुलिस केवल मुख्य मार्गों पर चालान काटने में व्यस्त है, जबकि अवैध बसें गांवों और बाहरी रूटों पर खुलेआम संचालित हो रही हैं।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि बिना फिटनेस और परमिट वाली बसों के खिलाफ तुरंत विशेष जांच अभियान चलाया जाए। बस स्टैंडों और प्रमुख मार्गों पर आरटीओ और पुलिस की संयुक्त टीमों को तैनात किया जाए, ताकि सड़कों पर दौड़ रही इन अवैध बसों पर लगाम लगाई जा सके।

जनता का सवाल अब यही है कि आखिर आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस कब जागेगी? क्या कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही प्रशासन हरकत में आएगा? जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक यह लापरवाही यात्रियों की सुरक्षा पर भारी पड़ती रहेगी।

ऐसे हे हालात 

   बसो  में न तो एआईएस-119 मानक के अनुसार सीट लेआउट हे  और न ही आपात निकास द्वार। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि बस में आपातकालीन द्वार को बंद कर वहां अतिरिक्त  सीटें लगाई गई थीं। यही वजह रही कि आग लगने के बाद यात्री समय रहते बाहर नहीं निकल सके। 'एनीवेयर फिटनेस' प्रणाली की भी होगी जांच इस हादसे के बाद पूरे राज्य में पिछले एक साल में 'एनीवेयर फिटनेस' प्रणाली के तहत जारी फिटनेस प्रमाण पत्रों की समीक्षा शुरू कर दी गई है। प 

परिवहन मंत्री ने मांगा जवाब दुर्घटना के बाद राज्य भर में डग्गामार बसों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। परिवहन मंत्री ने विभागीय अधिकारियों से अवैध बस अड्डों और बिना अनुमति चल रही बसों के संचालन पर रिपोर्ट तलब की है। खासकर   आउटर इलाकों में इन बसों की भरमार है।

कांट्रैक्ट कैरिज और स्टेज कैरिज परमिट का गलत इस्तेमाल कर बस संचालक धड़ल्ले से नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। कांट्रैक्ट कैरिज परमिट लेकर सड़क पर सवारी बैठाने का खेल वर्षों से चल रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत से ये बसें सड़कों पर फर्राटा भरती रहती हैं।

आरटीओ ऑफिस में 'परमिट खेल', नियम ताक पर आरटीओ कार्यालयों में परमिट के नाम पर वर्षों से खेल जारी है। निजी बस संचालक कांट्रैक्ट कैरिज परमिट लेकर उसे स्टेज कैरिज की तरह चला रहे हैं। जबकि नियम के अनुसार, कांट्रैक्ट कैरिज बस सिर्फ तय रूट और सवारियों तक सीमित होती है, इसे बीच रास्ते में सवारी नहीं बैठाने की अनुमति नहीं होती। स्टेज कैरिज परमिट अधिक महंगा होता है, इसलिए संचालक सस्ते परमिट लेकर नियमों को तोड़ते हैं। इन अनियमितताओं के चलते ही ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति होती है, लेकिन अब शासन ने ऐसे सभी मामलों की निगरानी शुरू कर दी है। डग्गामार माफिया की दबंगई इस कदर है कि पुलिस और प्रशासन भी इनके आगे बेबस नजर आते हैं। अवैध बस अड्डों को हटाने के बाद कुछ ही दिनों में फिर से संचालन शुरू हो जाता है। राजधानी की सीतापुर रोड, हरदोई रोड, अयोध्या रोड और कानपुर रोड पर ये बसें बेरोकटोक दौड़ रही हैं।


 

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