भीलवाड़ा |जिला मुख्यालय के निकटवर्ती सुवाणा के सभागार में मंगलवार को कृषि विभाग के तत्वावधान परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कृषकों को कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी दी गई,
कृषक गोष्ठी में सहायक निदेशक कृषि विस्तार डा. धीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि अधिक उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीक आवश्यक है, अंधाधुन्ध उर्वरक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता कमजोर होती है, अतः किसान अपनी मृदा की जांच प्रयोगशाला में कराये एवं कृषि वैज्ञानिको की सिफारिश के अनुसार ही उर्वरक प्रयोग करें, मिट्टी एवं पानी की जांच मात्र 5 रुपये शुल्क निर्धारित है, जैविक खेती पर जोर देते हुए परम्परागत कृषि को अपनाएं, कृषि अधिकारी कजोड़ मल गुर्जर ने कहा कि कृषि विभाग की सभी योजनाऐं कृषकों के लिए लाभदायक है एवं राज किसान पोर्टल के माध्यम से ऑन लाइन कर सकते है। मृदा में वैज्ञानिको द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार ही संतुलित उर्वरक उपयोग करे ताकि कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करे साथ ही किसान कृषि की नवीन तकनीक अपनाऐं, वैज्ञानिको द्वारा किये जा रहे नवाचारो के माध्यम सें कम लागत में अधिक उत्पादन वाली फसले पैदा कर अपने जीवन स्तर को सुधारे, मृदा में अंधाधुन्ध उर्वरक एवं कीटनाशी का उपयोग करने से बचे,
एग्री किलनिक के कृषि अनुसंधान अधिकारी जीतराम चौधरी ने कहा कि फसलो में किसी भी प्रकार के रोग एवं कीट का प्रकोप दिखाई देने पर कृषि विभाग के कृषि पर्यवेक्षक एवं सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क करे या जिला स्तर पर एग्री क्लिनिक कार्यालय में सम्पर्क पर समस्या का निदान करा सकते है, सहायक कृषि अधिकारी उदय लाल गाडरी उद्यान विभाग की बगीचा स्थापना, प्याज भण्डारण, सौरऊर्जा, लो टनल पर विस्तार से प्रकाश डाला,
सहायक कृषि अधिकारी टीना खटीक ने नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी की उपयोगिता पर जानकारी दी, संगीता महरानिया, गोपाल जाट, सोहन लाल जाट, शंकर गुर्जर, रवि राज सिंह, रामेश्वर सालवी सहित अनेक प्रगतिशील कृषक मौजूद थे।