सीजफायर के बाद भीलवाड़ा के दमकल कर्मी अब तक आदेश के इंतजार में
भीलवाड़ा। युद्ध जैसी आपात परिस्थिति में सामान्य जिलों से सीमावर्ती जिलों में भेजे अग्निशमन दलों को अब भी वापसी के लिए हरी झंडी का इंतजार है। सीजफायर के बाद सामान्य स्थिति बनने पर इन जिलों से बाहर की एंबुलेंस आदि लौटा दी गई। सरकार ने प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारियों के अवकाश व मुख्यालय छोड़ने पर प्रतिबंध भी वापस ले लिए, पर अग्निशमन दल अब भी बिना काम वहीं अटके हुए हैं। उनको लग राय है कि संभवतया स्वायत शासन विभाग वापसी का आदेश निकालना भूल रहा है।
पाकिस्तान से लगती राजस्थान सीमा पर भारी तनाव व युद्ध जैसी स्थिति बनने पर प्रदेशभर में सांकेतिक इमरजेंसी व
एहतियातन कदम उठाए गए थे। सरकार के निर्देश पर स्वायत्त शासन विभाग ने भी जयपुर से 8 मई को रात को प्रदेश के 17 नगरीय निकायों के 77 अग्निशमन वाहन मय फायर फाइटर्स तत्काल बॉर्डर जिलों में भेजने का आदेश निकाला। इसके तहत भीलवाड़ा नगर निगम से भी 5 बड़ी दमकलों के साथ 30 फायर फाइटर्स तुरन्त श्री गंगानगर एवं बाड़मेर पहुंचे। ये तब से वहीं तैनात हैं। इसी तरह अन्य सामान्य जिलों के अग्निशमन दल बाड़मेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर व बीकानेर जिला मुख्यालयों पर ही हैं। इनमें से एक कर्मचारी ने कहा कि अब स्थितियां सामान्य हो गई हैं। यहां के कलेक्टर्स ने भी कई आदेश वापस ले लिए। सरकार के कार्मिक विभाग ने भी शुक्रवार को जारी आदेश में प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारियों के अवकाश पर रोक संबंधी आदेश वापस ले लिए। ऐसे में अब फायर फाइटर्स को भी वापस अपनी जगह भेजने का आदेश जारी होना चाहिए। ताकि उनकी सेवाओं का सदुपयोग हो सके।
वहां बिना काम रुके हैं, यहां दमकलों की कमी से जूझ रहे नगर निकाय... करीब 10 दिन से बॉर्डर
जिलों में तैनात अन्य जिलों के फायर फाइटर्स ने बताया कि हमें वहां ठहरने-खाने-पीने आदि की कोई समस्या नहीं है। व्यवस्थाएं अच्छी है, पर बुरा इसलिए लग रहा कि स्थिति सामान्य होने से कोई काम नहीं, खाली बैठे हैं। फिर भी परिवार व मूल ड्यूटी से दूर क्यों रहे। भीलवाड़ा नगर निगम में पीछे से कुछ फायर फाइटर्स, इंचार्ज व कुछ ठेके के कर्मचारियों के साथ तीन दमकलें ही हैं। शुक्र है कि इस जिले में कई बड़े औद्योगिक समूहों की अग्निशमन सेवाएं मिल जाती हैं और इस बीच कोई बड़ा हादसा भी नहीं हुआ, वर्ना नगर निगम के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाता। कई अन्य निकाय क्षेत्रों की स्थिति इससे ज्यादा खराब है।