दोपहर 12 बजे से 3 बजे के मध्य भारवाहक पशुओं का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रखवाने के जिला कलेक्टर संधू ने दिये निर्देश

भीलवाड़ा। वर्तमान में राज्य के अधिकांश भागों में ग्रीष्म ऋतु के कारण तापमान में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। ऐसे मौसम में भारवाहक पशुओं यथा घोड़े, गधे, खच्चर, बैल, भैसा आदि को दोपहर के समय तीव्र धूप में कार्य हेतु प्रयुक्त किए जाने से उन्हें हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण, अत्यधिक थकावट तथा मृत्यु जैसी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। अतः पशुओं के कल्याण एवं उनके प्रति करुणामय दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में विधिक प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है।
पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 के अनुसार किसी जीव जन्तु की देखभाल करने वाले या उसे रखने वाले हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह ऐसे जीव जन्तु का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए और ऐसे जीव जन्तु को अनावश्यक पीड़ा या यातना देने का निवारण करने के लिए सब युक्तियुक्त उपाय करेगा।
भार ढोने वाले और माल ढोने वाले पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण नियम, 1965 के नियम 6 के उपनियम 3 के अनुसार जिन क्षेत्रों में तापमान 37 सेल्सियस से अधिक रहता हो वहां दोपहर को 12 बजे से 3 बजे के बीच पशु को उपयोग में नही लेगा तथा नही लेने देगा।
पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (पशुओं का पैदल परिवहन) नियम, 2001 के नियम 12 के अनुसार 30 सेल्सियस से अधिक तापमान पर किसी जानवर का पैदल परिवहन नहीं करेगें।
जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधु ने जिले के संबंधित विभागों, स्थानीय निकायों, पुलिस प्रशासन एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र में दोपहर 12 बजे से 3 बजे के मध्य भारवाहक पशुओं का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रखवाने हेतु निर्देश दिये एवं इसकी प्रभावी मॉनिटरिंग करें। उन्होंने कृषि कार्यों तथा यातायात हेतु उपयोग में लाए जा रहे पशुओं के लिए पर्याप्त छाया, शीतल व स्वच्छ पेयजल तथा पौष्टिक चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु पशु मालिकों को जागरुक करने के लिए निर्देशित किया ।