भागवत महापुराण पर महंसों की सरिता है- अशोक

आकोला (रमेश चंद्र डाड) पांच दिवसीय सत्संग कार्यक्रम के तीसरे दिन सरस्वती विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय में गुरुजी अशोक भाई ने प्रवचन देते हुए बताया कि वैष्णव में सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव हैं ! जिसका मन शुद्ध है, जो वेदों को जानने वाला है, जिसके पास संसार की उलझन नहीं वही भागवत का वक्ता होता है ! बड़े भाग्य से मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है उसे सत्संग में लगाये! सत्य का संग ही सत्संग है ! बाली की मृत्यु पर उनकी पत्नी तारा ने शोक किया तो भगवान श्री राम ने कहा हे तारा तेरा विलाप करना व्यर्थ है इसे तो एक न एक दिन मिट्टी में विलीन होना ही हैं जो जैसा करेगा वैसा फल पायेगा इसलिए शोक को त्याग कर प्रभु भक्ति में ध्यान लगाए ! कथा एक माता का स्वरूप है जिस प्रकार माता अपने परिवार का पालन पोषण करती है उसी प्रकार कथा भी मन का स्वरूप लालन-पालन करने वाले मां विष्णु समान हैं! माता का आचरण पिता का विकार दोनों मिलकर संतान को जन्म देता है ! मां भागीरथी गंगा है जितना नहाना है नहालो समय निकल जाने के बाद फिर लौट के नहीं आने वाला हैं ! अगर जीवन में कथा, सत्संग नही है तो जीवन व्यर्थ है इसलिए भजन करना हो तो मस्त जवानी में करो बुढ़ापे का इंतजार मत करो! भगवान की प्यास को मुक्ति कहते हैं सत्संग में वही आता है जिसको रस है, विश्वास है, श्रद्धा है व शबुरी हैं ! भगवान भक्ति के प्यासे हैं भक्ति अंधी होती ज्ञान के आँख भक्ति के पैर हैं लेकिन अंधी हैं ! परमात्मा ने भक्ति करने को काया दी तो अवश्य काया का उद्धार करने हेतु प्रभु भक्ति में लगा कर भजन करना चाहिए जीवन में क्रोध आने पर ज्ञान समाप्त हो जाता है, भक्ति मार्ग कामना के कारण खंडित हो जाता है ! काम, क्रोध, लाभ तीनों ही जीवन को नष्ट कर देते हैं हमें इनसे बचना चाहिए और मानव शरीर को प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए ! सत्संग में सैकड़ों भक्तो ने आनन्द लिया