दो बच्चे होने पर मिलती थी ज्यादा छूट; ₹100 कमाने पर ₹2.25 ही जाते थे जेब में, 1947 से कितना बदला आयकर
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। उसके बाद के बजट में केंद्र सरकार की ओर से आमदनी और खर्च का ब्यौरा दिया जाने लगा। सरकार की आमदनी का एक हिस्सा इनकम टैक्स यानी आयकर से आता है। यह टैक्स देश के लोगों को अपनी कमाई से सरकार को देनी पड़ती है। आजादी के समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी ही टैक्स फ्री थी। उसके बाद आयकर व्यवस्था में समय-समय पर कई बदलाव किए गए। देश में एक समय ऐसा भी था जब बच्चों की संख्या के आधार पर किसी व्यक्ति को कितना टैक्स देना पड़ेगा, यह तय होता था। देश में आयकर का इतिहास कई और मायनों में भी दिलचस्प रहा है। आइए जानें इसका दिलचस्प इतिहास।
नौकरीपेशा लोगों के लिए 7 लाख 75 हजार तक की आमदनी टैक्स फ्री
केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री की ओर से किए गए एलानों के बाद अगर किसी नौकरीपेशा करदाता की सालाना आय 7 लाख 75 हजार रुपये तक है, उसे आयकर नहीं चुकाना पड़ता है। क्योंकि स्टैंडर्ड डिडक्शन के 75,000 रुपये घटाने के बाद उसकी आमदनी 7 लाख रुपये रह जाती है। ऐसे में उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ता, क्योंकि नई टैक्स रिजीम के तहत सात लाख रुपये तक की आमदनी सरकार ने टैक्स फ्री कर रखी है। इसका मतलब है अगर किसी व्यक्ति का मासिक वेतन 64000 या 64500 रुपये के आसपास है तो उसे नई कर प्रणाली में कोई आयकर चुकाने की जरूरत नहीं है।
बजट 2025 में वित्त मंत्री से 10 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री करने की हो रही मांग
केंद्रीय बजट 2025 में जानकारों ने वित्त मंत्री से 10 लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स के दायरे से अलग रखने की अपील की है। 2023-24 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिविजुअल टैक्सपेयर के लिए आयकर का दायरा बढ़ाने का एलान किया था। आयकर का दायरा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये (नई टैक्स रिजीम के तहत) कर दिया गया था। इस दौरान सुपर रिच टैक्स को भी घटाकर 37 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं रिटायर्ड कर्मियों के लिए लिव इनकैशमेंट की सुविधा में इजाफा कर उसे तीन लाख से 25 लाख रुपये कर दिया गया था।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में नई टैक्स रिजीम को किया गया डिफाॅल्ट
पिछले साल नई टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट कर दिया गया है। नई टैक्स व्यवस्था को केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2020 से लागू किया था। नई टैक्स व्यवस्था यानी नई टैक्स रिजीम में नए टैक्स स्लैब बनाए गए थे लेकिन आयकर में मिलने वाले सारे डिडक्शन और छूट समाप्त कर दिए गए थे। भारत में आजादी के बाद से आयकर के मामले में अलग-अलग सरकारों ने कई बदलाव किए हैं। इन बदलावों का आम आदमी पर सीधा असर पड़ा है, क्योंकि आयकर वह राशि है जो किसी व्यक्ति को अपनी मेहनत की कमाई में से बचाकर सरकार को देनी पड़ती है।
देश आजाद हुआ तब 1500 रुपये तक की आमदनी थी टैक्स फ्री
आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। जब देश का पहला बजट पेश किया गया था उस समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री थी। 2023 में मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में यह लिमिट सात लाख रुपये (नई टैक्स रिजिम के तहत) कर दी गई।
शादीशुदा और कुंवारों के लिए था अलग-अलग टैक्स का प्रावधान
1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। इसके तहत शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक की आमदनी तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी।
आबादी बढ़ाने पर टैक्स छूट देने वाला पहला देश बना भारत
भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। शादीशुदा होने पर यदि बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चे वाले व्यक्तियों के लिए 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी।
एक समय 100 रुपये की कमाई पर लगता था 97.75 रुपये टैक्स
1973-74 में भारत में आयकर की दर सबसे ज्यादा थी। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई थी। सरचार्ज मिलाकर यह दर 97.75 फीसदी तक पहुंच जाती थी। 2 लाख रुपये की आमदनी के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी। हालांकि बाद के दौर में विभिन्न सरकारों ने लोगों पर आयकर भार कम करने के लिए बड़े कदम उठाए। फिलहाल देश में आयकर के दो टैक्स रिजीम अमल में हैं। जिसमें नई टैक्स रिजीम के तहत नौकरीपेशा लोगों के लिए करीब 7 लाख 75 हजार रुपये की आमदनी टैक्स के दायरे से बाहर है।