ब्रिटेन भारत को प्राचीन कांस्य की मूर्ति वापस करने पर सहमत, तमिलनाडु से हुई थी चोरी

By :  vijay
Update: 2024-11-30 06:51 GMT

ब्रिटेन ने साल 1967 में खरीदी गई और भारत से चोरी हुई कांस्य की मूर्ति तमिलनाडु को लौटाने पर सहमति जताई है। यह मूर्ति तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक प्राचीन मंदिर से तिरुमंगई अलवर की है। इस संबंध में अपराध जांच विभाग लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एशमोलियन संग्रहालय ने कहा कि विभाग की ओर से मिले सबूतों के आधार पर मूर्ति को भारत को लौटाया जाएगा।

अधिकारियों ने दी जानकारी

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, तमिलनाडु आइडल विंग सीआईडी पुलिस को हाल ही में लिखे अपने पत्र में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने करोड़ों रुपये मूल्य की मूर्ति को भारत वापस लाने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा, उन्होंने लंदन से भारत में मूर्ति लाने से जुड़े सभी खर्चों को पूरा करने का भी वादा किया है। एक महीने के भीतर इस मूर्ति को तमिलनाडु लाने के प्रयास किए जा रहे थे।


जानकारी के मुताबिक, 2020 में विंग ने 1957 और 1967 के बीच तंजावुर जिले के सुंदरराजा पेरुमल मंदिर से चार मूल्यवान मूर्तियों की चोरी के संबंध में विशिष्ट जानकारी के आधार पर मामला दर्ज किया था। इन मूर्तियों को अज्ञात मूर्ति तस्करों ने अवैध रूप से बेच दिया था, इसके बाद विदेशों में इसकी तस्करी की गई थी।

इसके बाद विंग ने लगातार प्रयासों के बाद विदेशों में विभिन्न संग्रहालयों में तस्करी की मूर्तियों का पता लगाया। थिरुमंगई अलवर की मूर्ति को 1967 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, लंदन के एशमोलियन संग्रहालय ने खरीदा था। जांच से पता चला कि वर्तमान में इन मूर्तियों की प्रतिकृतियां श्री सुंदरराज पेरुमल मंदिर में पूजा के लिए उपयोग की जाती थीं, जबकि मूल मूर्तियां विदेशी संग्रहालयों में बनी हुई हैं।

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