नागरिकों के अधिकारों की रक्षा...', डेटा सुरक्षा नियम को लेकर बोले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि सरकार की तरफ से जारी किए गए मसौदा डेटा सुरक्षा नियम नागरिक अधिकारों की रक्षा करते हुए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन बनाते हैं। सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा (डीपीडीपी) अधिनियम के लिए मसौदा नियम जारी किए, जिन पर 18 फरवरी तक सार्वजनिक परामर्श किया जा सकता है।
'नियमों को अधिनियम की चारदीवारी के भीतर होना चाहिए'
अश्विनी वैष्णव ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, 'नियमों को अधिनियम की चारदीवारी के भीतर होना चाहिए। यह संसद की तरफ से पारित अधिनियम के दायरे में है। ये नियम नागरिकों के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा करते हुए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं।' मंत्री ने कहा कि पहले दुनिया के लिए केवल एक ही टेम्पलेट उपलब्ध था - उच्च स्तर के विनियमन वाला यूरोपीय डेटा सुरक्षा नियम। हालांकि, भारतीय नियमों ने देश में स्टार्टअप्स के बीच विकसित हो रहे नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में उछाल की रक्षा के लिए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
मंजूरी के लिए संसद के मानसून सत्र में होगा पेश- वैष्णव
उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया है और शिकायत पंजीकरण, उनका निपटान और वितरण, डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ बातचीत जैसी व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। मंत्री ने कहा कि अंतिम नियमों को मंजूरी के लिए मानसून सत्र में संसद के समक्ष रखा जाएगा और डिजिटल रूप से डेटा संभालने वाली सभी संस्थाओं को कानून के अनुसार अपने सिस्टम को कैलिब्रेट करने के लिए दो साल का समय मिलेगा। मंत्री ने कहा, 'अधिनियम के तहत आने वाली सभी संस्थाओं को नियम लागू होने के बाद दो साल के भीतर मौजूदा सहमति की समीक्षा करनी होगी।' उन्होंने कहा कि नए डेटा शासन के अनुभव के आधार पर नियमों में सुधार किया जाएगा। वैष्णव ने कहा, 'जहां तक संभव हो, अधिनियम के सरल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए नियमों में न्यूनतम निर्देश रखे गए हैं'।
D'अधिनियम के तहत स्वैच्छिक उपक्रम का प्रावधान'
इस अधिनियम में डेटा के लिए जिम्मेदारों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। मंत्री ने कहा, 'अधिनियम के तहत स्वैच्छिक उपक्रम का प्रावधान है, जहां कोई इकाई स्वेच्छा से अधिकारियों को किसी भी उल्लंघन का खुलासा कर सकती है और डेटा सुरक्षा बोर्ड (डीपीबी) अधिनियम के अनुसार इससे निपटेगा।' डीपीडीपी अधिनियम के अनुसार, बोर्ड की तरफ से स्वैच्छिक वचनबद्धता को स्वीकार करने से इकाई को इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही से सुरक्षा मिलेगी। हालांकि, यह सुरक्षा डीपीबी की मंजूरी के अधीन होगी। यदि कोई व्यक्ति डीपीबी की तरफ से स्वीकार किए गए स्वैच्छिक वचनबद्धता की किसी शर्त का पालन करने में विफल रहता है, तो इसे अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा और बोर्ड व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देने के बाद दंडात्मक प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई कर सकता है।