जी-रामजी योजना: महिलाओं को केंद्र में रखा गया, ग्रामीण रोजगार में एक तिहाई हिस्सेदारी अनिवार्य

Update: 2025-12-25 17:55 GMT



नई दिल्ली। ग्रामीण भारत में रोजगार के साथ सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाए गए विकसित भारत जी रामजी अधिनियम में महिलाओं के लिए व्यापक और ठोस प्रावधान किए गए हैं। इस कानून के तहत कुल लाभार्थियों में महिलाओं की न्यूनतम एक तिहाई हिस्सेदारी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की गई है। यह व्यवस्था केवल कागजी घोषणा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पंजीकरण से लेकर काम आवंटन, भुगतान, निगरानी और शिकायत निवारण तक पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट और पारदर्शी बनाया गया है।

अधिनियम के अनुसार जब किसी ग्रामीण परिवार का रोजगार गारंटी के लिए पंजीकरण किया जाएगा, तो परिवार के सभी वयस्क सदस्यों के नाम दर्ज करना अनिवार्य होगा। इसमें पत्नी, बेटी और परिवार की महिला मुखिया सभी को शामिल किया जाएगा। महिलाओं को अलग से आवेदन करने या सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। पंजीकरण की जिम्मेदारी सीधे ग्राम पंचायत की होगी, जिससे महिलाओं को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सके।

अकेली महिलाओं के लिए कानून में विशेष प्रावधान

विधवा, परित्यक्ता और अविवाहित महिलाओं के लिए इस अधिनियम में अलग से विशेष ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्ड जारी करने का प्रावधान किया गया है। इन कार्डों के आधार पर ऐसी महिलाओं को काम आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी। इन विशेष कार्डों की वैधता तीन वर्ष की होगी, ताकि महिलाओं को स्थायी आर्थिक सहारा मिल सके। ग्राम पंचायतों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की पहचान करें, जो अकेली हैं या जिनके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है, और उन्हें विशेष रोजगार गारंटी कार्ड उपलब्ध कराएं।

महिला प्रधान परिवारों को भी प्राथमिकता

महिला मुखिया वाले परिवारों को भी रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे परिवारों को उन कार्यों में आगे रखा जाएगा, जिनसे भविष्य में स्थायी आय के साधन विकसित हो सकें। खेत तालाब, सिंचाई संरचनाएं, भूमि सुधार, आवास निर्माण और बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्य न केवल तत्काल मजदूरी देंगे, बल्कि लंबे समय तक लाभ देने वाली संपत्तियां भी तैयार करेंगे। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।

कार्यस्थल पर सुविधा और सम्मान पर जोर

अधिनियम में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्यस्थल पर जरूरी सुविधाएं अनिवार्य की गई हैं। काम के नजदीक पीने का पानी, शौचालय, विश्राम स्थल और बच्चों की देखभाल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इससे महिलाओं के लिए काम करना सुरक्षित और सुविधाजनक होगा और वे परिवार की जिम्मेदारियों के साथ रोजगार में बेहतर संतुलन बना सकेंगी।


 



पारदर्शी भुगतान और मजबूत शिकायत निवारण व्यवस्था

मजदूरी भुगतान की व्यवस्था को पूरी तरह पारदर्शी बनाया गया है। मजदूरी सीधे महिला के बैंक या डाकघर खाते में भेजी जाएगी, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी और महिलाओं को उनकी मेहनत की पूरी कमाई समय पर मिलेगी। इसके साथ ही शिकायत निवारण की भी स्पष्ट व्यवस्था की गई है। महिलाओं की शिकायतों का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।

गांव, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर निगरानी और सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था रखी गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी स्तर पर महिलाओं की हिस्सेदारी एक तिहाई से कम न हो। यदि इस अधिनियम का ईमानदारी से क्रियान्वयन किया गया, तो यह ग्रामीण महिलाओं के लिए सम्मानजनक, सुरक्षित और स्थायी रोजगार का एक मजबूत मॉडल साबित हो सकता है।

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