संसद में परमाणु ऊर्जा विधेयक पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जताई चिंता: 'ये एक खतरनाक कदम है'
नई दिल्ली कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को सरकार के परमाणु ऊर्जा विधेयक को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना उठाया गया एक खतरनाक कदम बताया। शशि थरूर ने जोर देकर कहा कि पैसों की लालसा को जन सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और पीड़ितों को न्याय की जरूरत पर हावी नहीं होने दिया जा सकता है।
लोकसभा में सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांस्डमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया-2025 (शांति) विधेयक पर बहस में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हिस्सा लिया। उन्होने दावा किया कि प्रस्तावित कानून अपवादों से भरा हुआ है, इसमें विवेकाधिकार बहुत ज्यादा है और यह काफी हद तक जन कल्याण के प्रति उदासीन है।
उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन नहीं है कि यह परमाणु विधेयक है या कोई अस्पष्ट विधेयक।' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शांति विधेयक अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ निजीकृत परमाणु विस्तार की दिशा में एक खतरनाक कदम है। तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा, 'शांति नाम का अर्थ है शांति और स्थिरता। आइए सुनिश्चित करें कि यह नाम एक रोकी जा सकने वाली आपदा के बाद एक क्रूर विडंबना न बन जाए। भारत को बदलने के वादे को भारत को कलंकित करने के जोखिम से नहीं जोड़ना चाहिए।'
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार परमाणु विखंडन से निकलने वाली अपार ऊर्जा का दोहन करने की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह उस ऊर्जा का एक अंश भी एक ऐसे विधेयक का मसौदा तैयार करने में खर्च करने में विफल रही है जो सुसंगत, कठोर और खामियों से मुक्त हो।
उन्होंने कहा कि जहां भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के परमाणु कार्यक्रम की नींव रखी थी। वहीं मनमोहन सिंह ने 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को अंतिम चरण तक पहुंचाया, जिससे भारत अलगाव से बाहर निकला और परमाणु शक्ति में रणनीतिक आत्मविश्वास के युग में प्रवेश किया।
शशि थरूर ने कहा कि शांति विधेयक एक मील का पत्थर है, लेकिन गलत कारणों से। उन्होंने तर्क दिया कि विधेयक में अपने वर्तमान स्वरूप में इतनी मूलभूत संरचनात्मक खामियां हैं कि इसमें सतही संशोधनों के बजाय व्यापक रूप से सुधार की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि आदर्श रूप से इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, 'इस विधेयक की प्रस्तावना में ही परमाणु ऊर्जा को बिजली और हाइड्रोजन उत्पादन का एक स्वच्छ और प्रचुर स्रोत बताया गया है। यह भाषा बेहद भ्रामक है। यह रेडियोधर्मी रिसाव, लंबे समय तक रहने वाले परमाणु कचरे और विनाशकारी दुर्घटनाओं की संभावना से उत्पन्न होने वाले गंभीर, व्यापक और अपरिवर्तनीय जोखिमों की पूरी तरह से अनदेखी करती है।'
