पीएम मोदी समेत 30 मंत्री और 12 सीएम को प्रचार में कैसे टक्कर देगी AAP? ऐसी है 90 मिनट की ट्रेनिंग

By :  vijay
Update: 2025-01-07 10:39 GMT

विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजधानी दिल्ली में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चली है। भाजपा-कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार जोर शोर के साथ शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में भाजपा से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पूरी कैबिनेट और भाजपा शासित राज्यों के 12 मुख्यमंत्री दिल्ली में प्रचार करते हुए नजर आएंगे। पार्टी ने सांसदों के अलावा विभिन्न राज्यों के विधायकों की ड्यूटी भी दिल्ली में लगाई है। इन सभी को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी ने भी प्लान तैयार कर लिया है। दिल्ली में चुनाव प्रचार कैसे करना है? इसके लिए आप कार्यकर्ताओं को 90 मिनिट की ट्रेनिंग दी गई है।

आम आदमी पार्टी ने हर बूथ पर करीब 12 से 15 कार्यकर्ताओं को तैनात किया है। इनका काम एक बूथ के एक हजार वोटर्स तक पहुंचना है। ये कार्यकर्ता रोज दो टीमें बनाकर कार्य करते है। एक टीम गरीब-मध्यवर्गीय क्षेत्रों में जाकर फ्री बिजली पानी जैसे स्कीम की बात करती है। जबकि दूसरी टीम वहां जाती है जहां अमीर, बड़े व्यापारी और अफसर लोग रहते है। ये टीम बताती है कि कैसे केजरीवाल की पार्टी अन्य राजनीतिक दलों से अलग है। वे कैसे दिल्ली के विकास कर रहे है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पार्टी ने दिवाली बाद से ही तैयारियां शुरु कर दी थी। एक तरफ जहां रोज बड़े नेता नई चुनावी स्कीम लांच कर रहे है। जबकि दूसरी तरफ पार्टी कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग अभियान भी चला रही है। इनमें हर दिन एक बड़ा नेता कार्यकर्ताओं की क्षेत्र और विधानसभा वार बैठक लेता है। इनमें कार्यकर्ताओं को मतदाताओं तक कैसे पहुंचना है? बूथ पर क्या काम करना है? पार्टी की स्कीम को कैसे प्रभावी तरीके से आम लोगों तक पहुंचना है? इसका तरीका कार्यकर्ताओं को विस्तार से बताया जा रहा है। कार्यकर्ताओं की ये ट्रेनिंग करीब डेढ़ घंटे तक चलती है।

ट्रेनिंग के दौरान कार्यकर्ताओं को साफ बताया जाता है कि, चुनाव प्रचार के दौरान आम लोगों के दिमाग में यह बात बैठानी है कि अगर दिल्ली से आम आदमी पार्टी सरकार गई तो फ्री बिजली-पानी जैसी स्कीम बंद हो जाएगी। प्रचार में अरविंद केजरीवाल की भाई-बेटा और दोस्त जैसी इमेज तैयार करनी है। यहीं नहीं प्रचार के दौरान अगर कोई नाराज वोटर मिलता है तो उसे कैसे मनाना है और साथ ही सत्ता विरोधी लहर को कैसे कम करना है इसकी ट्रेनिंग भी कार्यकर्ताओं को दी गई है।

हाट सीट और हाई प्रोफाइल इलाकों में आप के विधायकों के अलावा पंजाब के विधायक भी तैनात किए गए है। जबकि नुक्कड़ सभा के लिए अलग से टीम बनाई गई है। वहीं कुछ वीआईआईपी क्षेत्रों में सीएम आतिशी के अलावा, पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब सीएम भगवंत मान समेत कई बड़े नेता भी जाएंगे। पार्टी की कोशिश है कि हर दिन एक बड़ा नेता करीब चार से ज्यादा विधानसभा सीट पर एक रैली या छोटी सभा करें।

पार्टी चुनाव से पहले ही घोषित कर चुकी है उम्मीदवार

आम आदमी पार्टी 70 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है। पार्टी ने कुल 26 विधायकों के टिकट काट दिए हैं, जबकि 4 की सीटें बदली हैं। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल इस बार भी नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज सीट बदल दी गई है। उन्हें जंगपुरा से टिकट मिला है। पटपड़गंज से पार्टी ने अवध ओझा को टिकट दिया है। जबकि सीएम आतिशी कालकाजी सीट से मैदान में हैं। मंत्री सौरभ भारद्वाज ग्रेटर कैलाश, गोपाल राय बाबरपुर और सत्येंद्र जैन शकूर बस्ती से चुनाव लड़ेंगे।

भाजपा की अब तक 29 उम्मीदवारों की एक ही लिस्ट जारी की गई है। पार्टी ने आप और कांग्रेस छोड़कर आए 7 नेताओं को टिकट दिया है। पार्टी ने 29 उम्मीदवारों की सूची में 13 उम्मीदवारों को रिपीट किया है, जबकि 16 नए चेहरे हैं। पार्टी ने 2020 में जीती 8 सीटों में से 6 पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसमें 2 मौजूदा विधायकों के टिकट कट गए हैं। वहीं, बदरपुर सीट से विधायक रहे रामवीर सिंह बिधूड़ी अब दक्षिण दिल्ली से सांसद हैं। नई दिल्ली से केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को टिकट दिया गया है। कालकाजी से सीम आतिशी के खिलाफ पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और जंगपुरा से मनीष सिसोदिया के सामने तरविंदर सिंह मारवाह को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस पार्टी अब तक 48 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पार्टी ने सीएम आतिशी के सामने अलका लांबा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, पूर्व सीएम केजरीवाल के सामने संदीप दीक्षित को टिकट दिया है।

पिछले चुनाव में ऐसा था परिणाम

2020 में विधानसभा की सभी 70 सीटों पर 8 फरवरी 2020 को सिंगल फेज में वोटिंग हुई थी। 11 फरवरी को नतीजे घोषित हुए थे। 2020 में आम आदमी पार्टी को 53.57 प्रतिशत वोट के साथ 62 सीटें मिली थीं। जबकि भाजपा को 8 सीटों सहित कुल 38.51 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस को 4.26 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन पार्टी अपना खाता खोलने में भी नाकाम रही थी। 2015 के चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी।

Similar News