पं. प्रदीप मिश्रा की खरी-खरी...: अंग्रेजी नव वर्ष में भगवान की भक्ति नहीं, बल्कि फुहड़ता और परोसी जाती है शराब....हिंदी नववर्ष में पीते हैं गंगाजल
चार दिन बाद नया वर्ष आने वाला है नव वर्ष पर होने वाल फूहड़ता पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने खरी खरी सुनाते हुए सनातनियों से शिवालयों में जाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा ‘कुछ ही दिनों में नववर्ष का कैलेंडर बदल जाएगा। आधी रात को युवकयुवतियां दारू पीकर हंगामा करते और बहुत से लोग लड़ते झगड़ते और गटर में गिरते नजर आते हैं। यह हमारी संस्कृति नहीं है। सनातन संस्कृति का नया वर्ष चैत्र महीने में आता है, जब ऋतु बदलती है, हरियाली छाई रहती और सभी प्रफुल्लित नजर आते हैं। देवी-देवताओं की पूजा होती है और पवित्र गंगाजल का पान होता है। हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। सभी हिंदू चैत्र नवरात्र में ही नववर्ष मनाएं।’
यह संदेश सीहोर के पं. प्रदीप मिश्रा ने शिव पुराण कथा के दौरान दिया। सेजबहार में आयोजित कथा में पं. मिश्रा ने कहा कि हैप्पी न्यू ईयर से केवल कैलेंडर बदलता है, चरित्र नहीं बदलता। अंग्रेजी नव वर्ष में भगवान की भक्ति नहीं, बल्कि फुहड़ता और शराब परोसी जाती है, जबकि, हिंदू नव संवत्सर शुरू होते ही मन और चरित्र दोनों पवित्र होता है। हिंदू भाई बहन देवी आराधना में जुटकर व्रत, पूजा पाठ से अपने आपको पवित्र करते हैं।
गटर में ना गिरें, शिवालय में मिलें
पं. मिश्रा ने कहा कि हिंदू नववर्ष में भारत की भूमि की हरियाली बदलती है। हम सभी के चेहरों पर रौनक होती है। जबकि 31 दिसंबर आधी रात को दारू की बोतल खोली जाती है। अंग्रेजी नए वर्ष में युवा पी पीकर गटर में मिलते हैं।
हिंदू नववर्ष में सनातनी लोग मंदिर और शिवालयों में दर्शन करते हैं। यदि नववर्ष मनाना ही चाहते हैं, तो मदिरालय में जाकर ना मनाएं। शिवालय में जाइए, किसी भी मंदिर में जाइए।
बच्चों को ऐसे कपड़े ना पहनाएं कि जोकर दिखे
पं. मिश्रा ने कहा कि अपने बच्चों को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्या माता, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे वीरों की गाथाएं सुनाएं। वैसे ही उनको वस्त्र पहनाएं। अपने बच्चों को ऐसे कपड़े नहीं पहनाना चाहिए, जिससे वह जोकर की तरह दिखने लगे।