यहां तीन नदियों का संगम और कुंभ स्नान का मिलता है पुण्य

Update: 2025-01-14 06:45 GMT

बैतूल। तीर्थराज प्रयाग में जहां गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती का संगम है, वहीं मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में ताप्ती, तवा, और अम्भोरा नदियों का त्रिवेणी संगम मौजूद है। इस अद्भुत संगम को श्रवणतीर्थ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को इस पवित्र संगम पर स्नान कराने लाए थे।

बैतूल जिला देश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां तीन पवित्र नदियों का उद्गम और संगम होता है। मुलताई में सूर्यपुत्री ताप्ती, भैंसदेही में चन्द्रपुत्री पूर्णा, और खैरवानी में वर्धा नदी का उद्गम है। वर्धा नदी बंगाल की खाड़ी में, जबकि ताप्ती और पूर्णा नदी अरब सागर में मिलती हैं। यहां का अनोखा प्राकृतिक दृश्य यह है कि मुलताई वन विभाग के सर्किट हाउस में स्थित बरगद के पेड़ की डालियों से बहने वाला जल दो दिशाओं में अलग-अलग सागरों में जाकर मिलता है।

- सात विशेष स्नान की तिथि घोषित

2025 में कुंभ स्नान के लिए ताप्ती और पूर्णा नदी के पवित्र घाटों पर विशेष आयोजन किए जाएंगे। पहला स्नान 13 जनवरी को, दूसरा 14 जनवरी को, तीसरा 29 जनवरी को, चौथा 2 फरवरी को, पांचवां 12 फरवरी को, और अंतिम स्नान 26 फरवरी 2025 को होगा। श्रद्धालुओं के लिए मुख्य स्नान स्थल ताप्ती-पूर्णा सरोवर (मुलताई और भैंसदेही), त्रिवेणी संगम (पचधार जलाशय और पारसडोह), कोलगांव ताप्ती घाट, शिवधाम बारहलिंग, खेड़ी परतवाड़ा ताप्ती घाट, और नांदा घोघरा घाट रहेंगे। इन स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान-ध्यान और दर्शन का लाभ लेंगे।

- धर्मग्रंथों में ताप्ती का महात्म्य

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि गंगा स्नान का, यमुना के जल के आचमन का, और मां नर्मदा के दर्शन का जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य ताप्ती नदी के स्मरण मात्र से प्राप्त होता है। ताप्ती नदी को सूर्यदेव की पुत्री, न्याय के देवता शनिदेव और यमराज की बहन माना गया है। भगवान श्रीराम ने बारहलिंग में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की थी, जो आज भी शिवभक्तों के लिए पूजनीय है।

- मां ताप्ती जागृति समिति ने दिया आमंत्रण

मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इन पवित्र स्नान स्थलों पर आकर पुण्य लाभ अर्जित करें। समिति ने जिला प्रशासन से आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, जिसमें पारसडोह और पचधार जलाशय से पानी छोड़ने की मांग भी शामिल है।

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