हरणी वृद्दाश्रम में भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमें श्रद्धालु

Update: 2025-04-26 15:38 GMT
हरणी वृद्दाश्रम में भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमें श्रद्धालु
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भीलवाड़ा  । श्री निबार्क पारमार्थिक सेवा ट्रस्ट एवं ओम शांति सेवा संस्थान वृद्धाश्रम के तत्वावधान में मंगरोप रोड स्थित वृद्धाश्रम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के चौथे दिन कथा वाचक निंबार्क आश्रम के महंत मोहन शरण शास्त्री ने कहा कि जीवन में जब तक दयनीय भाव नहीं लाओगे गोविन्द नहीं मिलेगा। आज की विद्या केवल पेट पूजन सिखाती है। दूसरे के पैसे कैसे हासिल करें यह विद्या तो सिखाती है लेकिन दूसरों के दिल को कैसे खुश रखे यह नहीं सिखाती है। समस्त विद्यालयों में संस्कृत अनिवार्य का नियम लागू होना चाहिए। इसी से विद्यार्थियों को संस्कारित होने में मदद मिलेगी।गुरुकुल पद्धति में सबसे पहला काम झुकना सिखाया जाता है। गुरु व माता पिता को प्रणाम करना सिखाया जाता है, ना की माता पिता को वृधाआश्रम में भेजना सिखाया जाता है। आज की विद्या है माता पिता को वृद्धआश्रम में डालो और विदेश में पैसे कमाओं। यह विद्या तो सीख लेते है परन्तु संस्कृत नहीं पढ़ पाते है। हम पिछले 10 वर्षों से निम्बार्क वैदिक संस्कृत समिति नाम से 2 लाख 28 हजार 913 लोगो को संस्कृत से जोड़ा है। समिति का इण्डिया बुक ऑफ़ रेकॉर्ड में नाम दर्ज है। उन्होंने कहा कि माता पिता ही परमात्मा साकार का रूप है इनकी पूजा करो। महंत ने मत्स्यवतार, च्यवन प्रसंग, अम्बरीश चरित्र, रामावतार कृष्णा जन्म नन्दोत्सव आदि प्रसंगों का वर्णन किया। कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग में उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म धर्म की रक्षा, दुष्टों का संहार और भक्तों को आनंद प्रदान करने के लिए हुआ था। नन्दोत्सव प्रेम, आनंद और भक्ति का प्रतीक है। कृष्ण की बाल लीलाए भगवान के दिव्य और मानवीय स्वरूप के अद्भुत समन्वय को दर्शाती हैं। राम अवतार के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पापों और अत्याचारों से त्रस्त हो गई, और देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, तो उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी पत्नी कौशल्या के पुत्र के रूप में अवतार लेने का संकल्प लिया। यह अवतार धर्म की स्थापना, दुष्टों का नाश और अपने भक्तों को आनंद प्रदान करने के लिए था। यह प्रसंग यह धर्म, सत्य, मर्यादा, भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को दर्शाता है। आयोजन समिति के नीलम-दिनेश शर्मा ने बताया कि कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की जन्मोत्सव की झांकी सजाई गई। बालकृष्ण को टोकरी में लाने के दृश्य को देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए और दर्शन के लिए होड़ मच गई। जन्मोत्सव के उपलक्ष में पंडाल को फलों फूलों व टॉफीयों से सजाया गया और प्रसाद वितरण किया गया। कथा के प्रारंभ में महंत श्री का समाज कल्याण विभाग की पूर्व अध्यक्ष एवं राज्य मंत्री अर्चना शर्मा, मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी एवं कांग्रेस वार कमेटी राजस्थान के अध्यक्ष लोकेश शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री के निजी सहायक ध्रुव सनाढ़य, अल्पसंख्यक आयोग सद्भावना समिति दिल्ली के सदस्य नागमणि कुशवाहा, जिंदल हेड डॉक्टर एसबी सिन्हा, विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव केके शर्मा, सांगानेर गोपाल मंदिर के महंत गोपालदास, राकेश काबरा, शांतिलाल बाबेल,संदीप सकलेचा, महावीर खटोड़ आदि ने माल्यार्पण एवं अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया। आयोजन समिति के नेहा- विपिन दीक्षित ने बताया कि पांचवे दिन श्री कृष्ण बाललीला, माखन चोरी लीला, वेणु गीत छप्पन भोग, गोवर्धन पूजा, छठे दिन महारास, गोपी गीत प्रसंग, कंस मर्दन, रूकमणी मंगल होगा। कथा के सांतवें अंतिम दिन सुदामा चरित्र, फुलों की होली खेली जाएगी। श्रद्धालओं को रूकमणी विवाह के दिन लाल वस्त्र पहनकर शामिल होना होगा।  

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