भीलवाड़ा में पहली बार तिरुपति बालाजी की पदयात्रा 6 अक्टूबर को, गूंजेगा शहर—“जय गोविंदा”

Update: 2025-10-01 12:28 GMT


भीलवाड़ा हलचल।

भीलवाड़ा शहर में श्रद्धा और भक्ति का संगम इस बार शरद पूर्णिमा पर एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। लक्ष्मीपुरा स्थित भव्य तिरुपति बालाजी मंदिर तक पहली ऐतिहासिक पदयात्रा सोमवार, 6 अक्टूबर को आयोजित होगी। इस अवसर पर शहर का माहौल “जय गोविंदा” के जयघोष से गूंज उठेगा।

मंदिर की स्थापना और आस्था

शहर के समीप सरस डेयरी के सामने, तिरुमला कॉलोनी के पास स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर वर्ष 2011 में बसंत पंचमी के पावन दिन पर स्थापित किया गया था। राजस्थान में तिरुपति बालाजी के स्वरूप का यह प्रथम मंदिर होने के कारण जिलेवासियों की गहरी आस्था यहां जुड़ी हुई है। हर वर्ष बसंत पंचमी पर पाटोत्सव में हजारों भक्त शामिल होते हैं और आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर की तर्ज पर तैयार विशेष महाप्रसाद का आनंद उठाते हैं।

पूर्णिमा के दिन मंदिर परिसर में विशेष श्रृंगार, अभिषेक और भक्ति आयोजन होते हैं, जो वातावरण को पूरी तरह भक्तिमय बना देते हैं।

पदयात्रा का मार्ग और आयोजन

शरद पूर्णिमा के मौके पर तिरुपति सेवा समिति व तिरुपति पदयात्री संघ द्वारा आयोजित यह पदयात्रा 6 अक्टूबर दोपहर 2 बजे बालाजी मार्केट स्थित पैच के बालाजी मंदिर से शुरू होगी। यात्रा गोल प्याऊ चौराहा – रेलवे स्टेशन – गायत्री आश्रम चौराहा – जोधड़ास रेलवे फाटक होते हुए लक्ष्मीपुरा स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंचेगी।

तैयारियों में उमंग

इस यात्रा को भव्य बनाने के लिए शहरभर के श्रद्धालु पूरी सक्रियता के साथ जुटे हुए हैं। पुरुषों में महेश पुरी, सुरेश तोषनीवाल, मुकेश गुर्जर, राधेश्याम तोषनीवाल, अशोक जोशी, प्रवीण अग्रवाल, अनिल बांगड, सुशील तंबोली, सुशील डांगी, सुनील मानसिंहका, पंकज मालानी, मुकेश शारदा, नीरव राठी, प्रकाश डालमिया, संजय डाड, रामावतार माहेश्वरी, ओम जी सेन, प्रियंक भदादा, श्याम लाहोटी, शैतान गुर्जर, प्रभात काबरा और सतीश जोशी सहित अनेक लोग सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

महिला श्रद्धालुओं में विनिता तोषनीवाल, अनिता गुर्जर, नीना अग्रवाल, लीला गोस्वामी, सुनीला जोशी, तारा बांगड और रीना डाड तैयारियों में पूरे उत्साह के साथ जुड़ी हुई हैं।

श्रद्धालुओं के लिए निमंत्रण

तिरुपति सेवा समिति और तिरुपति पदयात्री संघ ने भीलवाड़ा सहित आस-पास के श्रद्धालुओं से आह्वान किया है कि वे इस पहली ऐतिहासिक पदयात्रा में शामिल होकर “जय गोविंदा” के भक्तिमय माहौल का हिस्सा बनें और बालाजी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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