किसान, मछुआरे सब खुश... ब्रिटेन के साथ ट्रेड डील के बाद बढ़ जाएगी आमदनी

Update: 2025-07-24 17:30 GMT

नई दिल्ली। विकसित देशों के साथ व्यापार समझौते की दिशा में एक और कदम उठाते हुए भारत ने गुरुवार को ब्रिटेन के साथ कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (सीटा) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से टेक्सटाइल, लेदर व फुटवियर आइटम, इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनियरिंग एवं स्पो‌र्ट्स गुड्स, खिलौने, दवा, केमिकल्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर के साथ भारत के कृषि उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड और समुद्री उत्पादों के निर्यात में भारी बढ़ोतरी होगी।

 क्योंकि इन सभी वस्तुओं के निर्यात पर ब्रिटेन में अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। अब तक इन वस्तुओं पर आठ प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक का शुल्क लगता था। कृषि उत्पाद में मुख्य रूप से फल, सब्जी, बासमती चावल, अन्य अनाज, अचार, तैयार भोजन के निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगने से किसानों को लाभ मिलेगा तो रोजगारपरक सेक्टर का निर्यात बढ़ने से एमएसएमई लाभान्वित होंगे।

 

सरकारी खरीद में ले सकेंगे हिस्सा

समझौते के मुताबिक भारतीय एमसएमई अब ब्रिटेन की सरकारी खरीद में भी हिस्सा ले सकेंगे। दोनों देशों ने सीटा के तहत अपने वर्तमान के 56 अरब डॉलर के व्यापार को 2030 तक 112 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। सीटा पर अगले एक साल में अमल होने की उम्मीद की जा रही है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक ब्रिटेन अभी सालाना 27 अरब डॉलर के टेक्सटाइल व गारमेंट का आयात करता है और इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 1.79 अरब डॉलर की है।

व्यापार समझौता होने से ब्रिटेन के बाजार में भारतीय टेक्सटाइल आइटम बांग्लादेश, पाकिस्तान, कंबोडिया जैसे देशों से सस्ते हो जाएंगे जिससे हमारा निर्यात बढेगा। मंत्रालय को उम्मीद है कि ब्रिटेन के बाजार में लेदर व फुटवियर आइटम के निर्यात में भी अगले एक-दो साल में पांच-छह प्रतिशत का इजाफा होगा। ब्रिटेन अभी चीन और वियतनाम से सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का निर्यात करता है, लेकिन शून्य शुल्क होने से इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात भी बढ़ेगा। ब्रिटेन में जेम्स व ज्वैलरी निर्यात बढ़ाने की पूरी गुंजाइश है।

कुछ साल में दोगुना हो जाएगा निर्यात

ब्रिटेन सालाना तीन अरब डॉलर के ज्वैलरी का आयात करता है जबकि भारत ब्रिटेन में सालाना सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के ज्वैलरी का निर्यात करता है। शुल्क समाप्त होने से यह अगले दो-तीन साल में यह निर्यात दोगुना हो सकता है। शुल्क अधिक होने के कारण भारत ब्रिटेन के बाजार में कृषि पदार्थों का काफी कम निर्यात कर रहा था। ब्रिटेन कृषि उत्पाद व अन्य खाद्य पदार्थों का सालाना 37.52 अरब डॉलर का आयात करता है और इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 81 करोड़ डालर की है।

अब शुल्क समाप्त होने से भारत से चाय, बासमती चावल, अंगूर, आम, मसाला, प्याज, मखाना, लीची, सब्जी जैसे विभिन्न आइटम के निर्यात में भारी बढ़ोतरी होगी। कृषि उत्पाद के निर्यात का रास्ता खुलने से महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, बिहार, केरल व उत्तर पूर्व के कई राज्यों की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। वैसे ही ब्रिटेन सालाना 5.4 अरब डॉलर के समुद्री उत्पादों का आयात करता है और इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.25 प्रतिशत की है।

अब शुल्क समाप्त होने से ब्रिटेन में समुद्री उत्पादों के निर्यात का रास्ता साफ होगा जिससे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, केरल, उड़ीसा जैसे राज्यों को लाभ मिलेगा। समुद्री उत्पाद के साथ प्रोसेस्ड फूड्स के निर्यात को लेकर भी ब्रिटेन में बड़ी संभावना दिख रही है। ब्रिटेन सालना 50 अरब डॉलर के प्रोसेस्ड फूड्स का आयात करता है और इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 31 करोड़ डॉलर की है।

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