हादसे के बाद चेता अस्पताल प्रशासन, रिफिलिंग के लिए भेजे अग्निशमन यंत्र
चित्तौड़गढ़।
उत्तरप्रदेश में झांसी के अस्पताल में आग लगने से एक दर्जन नवजात शिशुओं की मौत के बाद जिला चिकित्सालय के चिकित्सा प्रशासन की नींद खुली है। महिला एवं बाल चिकित्सालय में स्थित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में लगे फायर इक्स्टिंगग्विशर (अग्निशमन यंत्र) को अब रिफिलिंग के लिए भेजा गया है। बड़ी बात यह कि स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में वर्तमान में एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं है। ऐसे में कोई आगजनी की घटना होती है तो फिर आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। फायर सेफ्टी सिस्टम इस यूनिट के बाहर की तरफ है।जानकारी में सामने आया कि झांसी में हुई घटना के बाद आपातकालीन स्थिति और आग लगने के दौरान इंतजामों की समीक्षा की गई। यहां देखने में आया कि महिला एवं बाल चिकित्सालय के न्यू बोर्न बेबी केयर यूनिट में फायर इक्स्टिंगग्विशर नहीं है। जानकारी में आया कि झांसी की घटना के बाद इन्हें रिफिलिंग कराने के लिए भेजा गया है।
परे अस्पताल में जांच के दौरान एक दर्जन से अधिक आग बुझाने के यंत्र रिफिलिंग के लिए भेजे गए और वर्तमान में महत्वपूर्ण स्थलों पर भी फायर इक्स्टिंगग्विशर नहीं है। जानकारी में सामने आया है कि शॉर्ट सर्किट से लगी आग बुझाने पर काम आने वाले एटीसी ड्राई केमिकल पाउडर के यंत्र भी रिफिलिंग के लिए भेजे गए हैं। ऐसे में यदि पीछे से आगजनी की कोई घटना होती है और उपकरणों के अभाव में समय पर काबू नहीं पाया जाता तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? बड़ा सवाल यह भी है कि समय पर अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग क्यों नहीं हो रही है या फिर वैकल्पिक व्यवस्था करके अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग क्यों नहीं करवाई गई।रिफिलिंग का कोई सर्टिफिकेट नहीं
आपातकालीन स्थिति में आग लगने के दौरान काम आने वाले फायर इक्स्टिंगग्विशर और दूसरे आग बुझाने के यंत्रों को हर साल रिफिलिंग के लिए भेजना पड़ता है। जिला चिकित्सालय में रिफिलिंग करने वाली फर्म रिफिल करने के बाद न तो लाइसेंस जारी करती है और न ही रिफिलिंग सर्टिफिकेट प्रदान करती है। ऐसे में सवाल यह है कि कभी भी आपात स्थिति में यह यंत्र काम करेगा या नहीं इसकी जिम्मेदारी कैसे तय होगी।
पूरे परिसर में केवल दो फायरमैन
जिला का सबसे चिकित्सालय श्री सांवलियाजी राजकीय सामान्य चिकित्सालय में करीब 400 से अधिक बेड पर मरीज भर्ती रहते हैं और डेढ़ हजार से अधिक का आउटडोर है। ऐसे में महज दो फायरमैन पूरे अस्पताल में कार्यरत हैं। यदि ऐसी कोई घटना हो तो ये फायरमैन एक से दूसरे वार्ड तक भी नहीं पहुंच सकते। महिला एवं बाल चिकित्सालय भी जिला चिकित्सालय परिसर के अंदर ही है।