जिन्दगी एक संघर्ष है इसे अपने अन्दाज में जीना सिखों : बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी

By :  vijay
Update: 2024-10-21 10:50 GMT

 

उदयपुर,  । गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के आयोजन की धूम जारी है। श्रावक-श्राविकाओं ने सभी क्रिया के बाद जल, दूध इक्षु रस, नारियल, रस, दही, सर्व ओशोधी चंदन, पुष्पवर्षा, पूर्ण कलश एवम दूध से अभिषेक किया गया।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत व चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने कहा कि जिन्दगी में रिश्क लेना सीखो अगर तुम जीते तो तुम्हे वो सब कुछ मिलेगा जो तुम चाहते हो और अगर तुम हार भी तो तुम बहुत कुछ सीख जाओगे। जिन्दगी में कभी उदास मत होना कभी भी किसी भी बात पर निराश मत होना, ये जिन्दगी तो एक संघर्ष है इसलिए कभी अपने जीने का अन्दाज मत खोना। उन लोगो के सामने हमेशा खुश रहो जो तुम्हे पंसन्द नही करते क्योंकि की तुम्हारी खुशी उन्हें जीतेजी मार देगी। परेशान मत हुआ करो लोगो की बातो से क्योकि कुछ लोग पैदा ही बकवास करने के लिए हुये है। उस इंसान की शक्ति का कोई मुकाबला नहीं कर सकता जिसके पास शक्ति के साथ सहनशक्ति भी हो। "कभी सोचा है आपने क्यो हीरे को मुकुट मे धारण किया जाता है , क्यो इसे आभुषण बनाकर गले से लगाते है। क्यो इसे मार्ग में फेंक नहीं देते, क्योकिं अंतंत है तो ये एक पत्थर ही क्या कीमत केवल इसलिए कि ये देखने में सुन्दर है, सुन्दर तो फूलो की पत्तिया भी होती है तो फिर इन्हें क्यु मार्ग में बखेरा जाता है, पेैरो तले रोंधा जाता है कारण है कठोरता यदि हीरे को पांव तले रोंधने का प्रयास भी किया तो पांव की वो दुर्दशा कर देगा कि फिर कभी पांव रखने के लिए धरा नहीं मिलेगी इसलिए हीरे को मानसिक स्तर पर रखा जाता है प्रतिभीशाली व्यक्ति भी हीरे के भांति होता है यदि सम्मान दोगे तो यश फैलायेगा।

इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, रविश जैन, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, लक्ष्मी देवड़ा, सीता देवड़ा, जयश्री देवड़ा, अल्का भदावत, लक्ष्मी सिंघवी, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत राजेश गदावत, विक्रमदेवड़ा, विजय गदावत, जितेंद्र जोलावत, भूपेन्द्र मुंडफोडा, रितेश बोहरा, नितिन कोठारी, लोकेश जोलावत, जीतेश बोहरा, राकेश पंचोली, कल्पेश मुंडलिया, लोकेश देवड़ा, मुकेश गदावत, जीतेश खलुडिया, दिलीप चावंडिया, विनोद गुनावत, रितेश गुनावत अभिषेक देवड़ा, सतीश जोलावत, सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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