समस्याओ का जाल कौन और क्यो बुनता है? -जिनेन्द्रमुनि
गोगुन्दा । श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ के तत्वावधान में उमरणा महावीर जैन गोशाला स्थित धर्मसभा का आयोजन किया गया ।जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि आज मानव जाति के समक्ष अगणित समस्याए है।परिवार,जाति समाज प्रान्त राष्ट्रनीति आदि जीवन के सभी क्षेत्रो में मानव समाज के सभी घटकों में हजारों समस्याए है।इन सभी क्षेत्रों में कही विचारभेद है,कही मान्यतभेद है,कही स्वार्थ की टक्कर है तो कही अहंकार का उफान है।मुनि ने कहा कही क्रोध की ज्वाला है,कही पूर्वाग्रह एवं कही हठाग्रह की पकड़ है।आज धर्म और संस्कृति तथा नैतिकता और आध्यात्मिकता के विपरीत कदम उठ रहे है।संत ने कहा आज के समय मे कही मानवता के बदले दानवता पनप रही है।कही राष्ट्रानधता धर्मान्धता आदि मूढ़ताएं सिर उठा रही है।कही आतंकवाद, उग्रवाद अलगाववाद भाषावाद और प्रांतवाद आदि के कारण संहारलीला चल रही है।मुनि ने कहा कही इसके अतिरिक्त निरर्थक हिंसा अनर्थ दंड बेईमानी भष्ट्राचार बलात्कार धोखाधड़ी अराजकता आदि पनप रही है।
प्रश्न होता है यह सब समस्याए मनुष्य जाति में दुःख विपति संकट पीड़ा अशांति आदि नाना अनिष्टों को पैदा करती है।फिर क्यों मानव अपनी ही जातिके साथ अन्य प्राणी वर्ग को दुःख आदि देने के लिए उधत होता है?क्यो जानबूझकर इतनी अगणित समस्याये पैदा करता है।?जैन संत ने दुःखी मन से कहा कि इन समस्याओं को पैदा करके वह स्वयं अपनी सुख शांति और समाधि भंग क्यो करता है?आखिर उसे मिलता क्या है?ऐसे समस्या जनित अनिष्टरूपी भूतो को स्वयं बुलाने से?मुनि ने कहा इन सब का उत्तर तो यही होगा-चाहता तो कोई नही है स्वयं संकटो को बुलाना,पर पता नही इन समस्याओं का जल कैसे बुन लेता है वह?मुनि ने कहा उसे यह भी मालूम नही है अथवा वह गहराई में उतरकर विचार भी करता नही है कि इन सब समस्याओं का मूल स्रोत क्या है?क्यो इन समस्याओं को खड़ी करने के लिए उधत हो जाता है।और फिर इनके कटु फल भोगता है।
मुनि ने कहा समस्या की प्रथम जननी है मिथ्यादृष्टि।संसार के अधिकांश जीवो का दृष्टिकोण मिथ्या होता है।मिथ्यादृष्टि के कारण नाना समस्याये पैदा होती है।विपरीत मान्यताएं अज्ञान अविधा देवगुरु धर्म शास्त्रमूढता आदि सब समस्याये मिथ्यादृष्टि के कारण होती है।दृष्टि मिथ्या होती है तब आत्मा का भान नही रहता।प्रवीण मुनि ने कहा हम अपने गौरवशाली इतिहास और वर्तमान युग के तीन दशक पहले की सामाजिक स्थितियां पर दृष्टिपात करे तो यह झलक स्पष्ट दिखती है उस काल का मानव भी धनार्जन की कामना तो करता था किंतु उस कामना के पीछे शुभ आकांक्षाओं की शुभ भावनाएं रहती थीं।रितेश मुनि ने कहा मानव जीवन शुभ कर्मों का सुफल है।पूर्व जन्म ने किए सुकृत्यों के कारण ही जीवात्मा मानव देह धारण करती है ।प्रभातमुनि ने कहा आप लोगो ने मनुष्य भव प्राप्त किया है।देव दुर्लभ भव प्राप्त करने के पश्चात भी यदि आपने इसे प्रमाद में खो दिया तो फिर सैंकड़ो वर्षो तक अन्य योनियों मे भटकना पड़ेगा।अतः जीवन को चमकाने का प्रयास करो। तारकगुरु जैन ग्रंथालय के मंत्री रमेश खोखावत,श्राविका संघ उदयपुर की मन्त्री डॉ.पुष्पा खोखावत,देवेंद्र धाम के सहमंत्री हिम्मत मेहता देवेंद्र महिला मंडल की कोषयाध्यक्ष मंजू मेहता ने संत का आशीर्वाद प्राप्त किया।